जीवन जंग

हरियाली की हरियाली हर ली हरी ने
पाखी के पंख के पर भी कतर गए
कुदरत की कद्र ने करवट ली है
उल्हास बिन उड़ान कोई कैसे भरे?
जीवन जंग जीत ही जाएंगे
राह के राही है हम, न रुकेंगे
दुर्ग दरिया हो चाहे, नदिया-नाले
हम मन मौजी है, हम मतवाले, हिम्मत वाले
हारी बाजी जीत के दम लेंगे
रोक न सकेंगे हमें दुनिया वाले,
आसमान भी हमसे आस जगाए
नजरों से नजर भरमाए
चिंगारी चुन चुन चुनौतियां चुने
जज्बा जीवन ज्योत जलाए
कुदरत करतब यूं दिखलाए
कैसे कोई कायर बन जाए?
जीवन जंग हम जीत कर दिखाए।
-नैंसी कौर
नई दिल्ली

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