सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जब विदेश दौरे पर थे, तब एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने पालक मंत्री पद को लेकर विवाद बढ़ा दिया था। उसके कारण महायुति के प्रति आम जनता में गलत संदेश गया। इस बात को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व एकनाथ शिंदे से नाराज है। ऐसी जानकारी भाजपा के एक मंत्री ने दी है।
भाजपा मंत्री का कहना है कि जब मुख्यमंत्री दावोस में थे, ऐसे में महायुति के घटक दलों से मेल-मिलाप और सहयोग की भूमिका निभाने की अपेक्षा की गई थी, पर ऐसा नहीं हुआ। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बात से नाराज है। शिंदे एक महत्वाकांक्षी नेता हैं और अगर चीजें उनके मुताबिक नहीं होती हैं तो वे करो या मरो का रवैया अपनाते है, इसकी कल्पना थी। यह बात भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कही। शिंदे का कड़ा रुख अपनाना और, उनके मंत्रियों का ऐसा करना स्वाभाविक है। शिंदे गुट के मंत्रियों के विभागों में फडणवीस के बढ़ते हस्तक्षेप को लेकर शिकायत की है।
मुख्यमंत्री पद न मिलने से शिंदे नाराज?
दिसंबर २०२४ में महायुति ने विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता हासिल की। १३२ सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। महायुति ने मुख्यमंत्री के तौर पर फडणवीस के नाम की पुष्टि की। इससे साफ हो गया कि शिंदे को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलेगा। इसके बाद से शिंदे नाराज चल रहे हैं।
शिंदे का विधायकों पर नहीं है नियंत्रण
मुख्यमंत्री फडणवीस दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के कार्यक्रम के लिए स्विट्जरलैंड गए थे। जब फडणवीस वहां थे तो पालक मंत्री पद को लेकर विवाद गरमा गया। फडणवीस के वहां से लौटने के बाद भी शिंदे अब भी नाखुश है, ऐसा सूत्रों ने बताया। पालक मंत्री पद को लेकर अब तक कोई चर्चा नहीं होने से शिंदे की नाराजगी बढ़ गई है। दूसरी ओर शिंदे की अपने विधायकों को नियंत्रण में रखने में असमर्थता ने भाजपा को परेशान कर दिया है। रायगड के पालक मंत्री पद के लिए भरत गोगावले के समर्थकों ने जिस प्रकार हंगामा किया और नासिक के पालक मंत्री पद के लिए दादा भुसे लगातार कोशिश कर रहे हैं। इससे स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि शिंदे का अपने विधायकों पर कोई नियंत्रण नहीं है।