२०१४ में खुद फडणवीस ने किया था खत्म
रामदिनेश यादव / मुंबई
भाजपा ने पिछले १० सालों में अपने कार्यकर्ताओं को कुछ नहीं दिया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लेकर भारी नाराजगी है। दो बार तो जैसे-तैसे भाजपा अपने गुणा-गणित के सहारे आ गई, लेकिन अब उसे कार्यकर्ताओं की नाराजगी का भय सताने लगा है। शायद इसीलिए भाजपा नेतृत्व वाली महायुति सरकार को अब एकबार फिर एसईओ नियुक्त करने की योजना याद आई है। इसके तहत कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें ‘एसईओ’ बनाने का चूरन दिया है।
दरअसल, वर्ष २०१४ में जब भाजपा की सरकार राज्य में आई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ही एसईओ (स्पेशल एक्जीक्यूटिव ऑफिसर) पद को समाप्त करने का काम किया था। भाजपा सरकार ने एसईओ के कई अधिकार हटाकर उसे बिना काम का बना दिया। जिसके बाद इसका महत्व पूरी तरह से खत्म हो गया। अब भाजपा को ही लग रहा है कि कार्यकर्ताओं को क्या दिया जाए, जिससे उनकी नाराजगी को कम किया जा सके। ऐसे में अब इस सरकार का ध्यान एसईओ की ओर गया है और इसे फिर से जिंदा करने की कवायद शुरू की गई है।
विभिन्न समितियों में स्थान
सरकारी योजनाओं के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार इन विशेष कार्यकारी अधिकारियों को दिया जाएगा। उन्हें विभिन्न समितियों में स्थान मिलेगा और सरकार के विभिन्न कार्यों की निगरानी करने का अधिकार होगा। इस अवसर पर यह भी बताया गया कि वे प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बता दें अब तक प्रत्येक १,००० मतदाताओं पर एक विशेष कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया जाता था।
पालकमंत्री की समिति
एसईओ को विशेष कार्यकारी अधिकारी भी कहा जाता है। राज्य सरकार लगभग दो लाख एसईओ नियुक्त करेगी। राज्य में एसईओ नियुक्ति के लिए प्रत्येक जिले में राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में पालकमंत्री और जिलाधिकारी की समिति बनाई जाएगी। महाराष्ट्र में अब प्रत्येक ५०० मतदाताओं पर एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
मिलेंगे १४ विशेष अधिकार
इस निर्णय के तहत राज्य में कुल १ लाख ९४ हजार विशेष कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इस बारे में जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि यह केवल नाममात्र का पद नहीं होगा, बल्कि इन अधिकारियों को १३ से १४ विशेष अधिकार भी दिए जाएंगे। सरकार के नए जीआर (सरकारी प्रस्ताव) के लागू होने के बाद वर्तमान विशेष कार्यकारी अधिकारियों के पद समाप्त कर दिए जाएंगे और नई नियुक्तियां की जाएंगी।