भरतकुमार सोलंकी
मुंबई
क्या आपने कभी सोचा हैं कि आपकी मेहनत की कमाई, जिसे आप सुरक्षित भविष्य के लिए बचाते हैं, क्या सही हाथों में जा रही है? क्या हम भावनाओं में बहकर अपनी संपत्ति ऐसे लोगों को सौंप रहे हैं, जो उसे संजोने की बजाय जोखिम में डाल देते हैं? क्या तेजी से पैसा कमाने की चाहत में हम निवेश और सट्टेबाजी का फर्क भूलते जा रहे हैं? यह सवाल हर उस व्यक्ति को खुद से पूछना चाहिए, जिसने कभी किसी पर भरोसा करके अपने वित्तीय पैâसले लिए हों।
अक्सर हम देखते हैं कि माता-पिता अपनी संतान के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जल्दबाजी में संपत्ति उनके नाम कर देते हैं, लेकिन क्या यह सुनिश्चित किया जाता है कि जिस व्यक्ति को यह संपत्ति सौंपी जा रही है, वह वित्तीय मामलों की समझ रखता है? क्या वह उस संपत्ति का सही उपयोग करेगा या अपनी इच्छाओं और कमजोरियों के चलते उसे जोखिम में डाल देगा? इतिहास गवाह है कि कई बार बिना सोचे-समझे दी गई आर्थिक स्वतंत्रता बर्बादी का कारण बन जाती है।
तेजी से मुनाफा कमाने की मानसिकता कब निवेश को सट्टे में बदल देती है, इसका एहसास तब होता है जब सब कुछ हाथ से निकल जाता है। फ्यूचर ऑप्शन्स, कमोडिटी ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरेंसी जैसे अस्थिर बाजारों में निवेश का मोह अक्सर उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है, जो जोखिम और गणना के बुनियादी सिद्धांतों को नहीं समझते। क्या यह लालच नहीं है कि हम बिना पूरी जानकारी के ऐसे बाजारों में कूद पड़ते हैं, जो चंद दिनों में हमारी पूरी पूंजी को खत्म कर सकते हैं? परिवार की सुरक्षा और भविष्य को ध्यान में रखते हुए किए गए निवेश का उद्देश्य यह होता है कि आनेवाली पीढ़ियां आर्थिक रूप से मजबूत रहें, लेकिन क्या हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जिस व्यक्ति के हाथों में संपत्ति सौंप रहे हैं, वह उसे संजोने में सक्षम है? कई मामलों में यह देखने को मिला है कि अचानक मिली संपत्ति लोगों को भटका देती है। वे खुद को वित्तीय निर्णयों का विशेषज्ञ समझने लगते हैं और अनावश्यक जोखिम उठाने लगते हैं। क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि आर्थिक सशक्तीकरण के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन भी उतना ही महत्वपूर्ण है? सवाल यह भी उठता है कि जब हम निवेश करते हैं, तो क्या सही मार्गदर्शन लेते हैं? क्या हम सिर्फ मुनाफे के सपने देखकर बिना जोखिम का आकलन किए निवेश करते हैं? यदि कोई व्यक्ति सट्टेबाजी की आदतों में लिप्त है, तो क्या उसके हाथों में बड़ी संपत्ति देना सही है? बाजार में ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं, जहां लोगों ने अपनी संपत्ति को बिना समझदारी से प्रबंधित किए सट्टे में झोंक दिया और न केवल खुद को, बल्कि पूरे परिवार को कर्ज में डुबो दिया। क्या हमें यह नहीं सीखना चाहिए कि संपत्ति का हस्तांतरण सोच-समझकर किया जाए? क्या यह जरूरी नहीं कि पारिवारिक धन को बचाने के लिए कानूनी और वित्तीय परामर्श लिया जाए? क्या सट्टेबाजी और निवेश में फर्क समझने की जरूरत नहीं है? यह घटना हमें एक बड़ा सबक देती है कि धन केवल अर्जित करने की चीज नहीं, बल्कि उसे सही ढंग से संरक्षित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सही पैâसले सही समय पर लिए जाएं, यही एक सच्चे निवेशक की पहचान है। क्या हम अपने पैâसलों को लेकर सतर्क हैं?
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)