मुख्यपृष्ठस्तंभजरूरत के हिसाब से नहीं है रेल बजट-शिवराज मिश्रा

जरूरत के हिसाब से नहीं है रेल बजट-शिवराज मिश्रा

हाल ही में रेल बजट आया है, जिसको लेकर पक्ष-विपक्ष को लेकर अन्य बड़े पदों पर आसीन लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जैसा कि रेल किसी भी देश की लाइफ लाइन होती है, लेकिन भारत में इसके बिना जीवन संचालन असंभव माना जाता है, चूंकि भारत एक बहुत बडे क्षेत्रफल वाला देश है। इतने बड़े देश में रेल के होने की गंभीरता हमारा देश भलिभांति समझता है, जिसको अपडेट व अपग्रेड करने के लिए सरकार को बहुत काम करना पड़ता है। इस बार बजट में क्या नई व बढोतरी हुई है, इसको लेकर आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी शिवराज मिश्रा से वरिष्ठ पत्रकार योगेश कुमार सोनी की एक्सक्लूसिव बातचीत के मुख्य अंश…
इस बार का बजट पहले वाले बजट से कैसे प्रभावशाली है?
जरूरत के हिसाब से उचित नहीन है, चूंकि इस बार रेलवे बजट में कुल 2,55,445 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। बजट में पेंशन फंड में 66 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं, जबकि नई लाइनें बिछाने के लिए 32,235 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। लाइनों के दोहरीकरण में 32,000 करोड़ और गॉज लाइन में बदलने में 4,550 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है, जिससे हमारे देश को आपस में जोड़ने के लिए और धन की आवश्यकता है।
इस बार रेलवे को लेकर कुछ खास नहीं लग रहा। इस पर क्या प्रतिक्रिया देंगे?
यह बात सत्य है कि इस बार का बजट लगभग पहले जैसा है, लेकिन भारत जैसे विशाल देश के लिए करोड़ों-अरबों रुपए इस सुविधा के लिए हर बार निकाले जाते हैं। यदि आप एक बात पर गौर करें तो बजट कम नहीं होता, हर बार बढ़ता ही है। जैसा कि हर सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह बेहतर करे, लेकिन वह कर नहीं पा रही।
इस बार वंदे भारत ट्रेन चलाने की बात की गई है, जिसको लेकर बीते कई समय से इस विषय में हर रोज चर्चा व काम हो रहा है, लेकिन आम जनता का मानना है कि स्लीपर ट्रेन बढे, चूंकि देश की अधिकतर जनसंख्या इतना व्यय नहीं कर पाती। इस पर क्या कहना है आपका?
यह बात बिल्कुल सही है कि स्लीपर ट्रेन उतनी नहीं बढ़ी, जितनी अपेक्षा थी, लेकिन इस मामले को लेकर हमने मंत्री जी से बात की है और उन्होंने हमारे कहने से एसी कोच हटाकर जनरल कोच लगाए हैं। हमने मंत्री जी से कहा है कि आप वंदे भारत व अमृत भारत चलाइए, लेकिन आम जनता के हिसाब से भी ट्रेन चलाइए। मंत्री जी ने हमें आश्वस्त किया है कि हम आम जनता को मद्देनजर रखते हुए आने वाले समय में जनरल ट्रेन पर बहुत अच्छा काम होगा।
संरक्षणता व सुरक्षा रेल के क्षेत्र में पहली प्राथमिकता मानी जाती है। इस बार बजट में इसको लेकर क्या नया होगा?
इस बार सुरक्षा कवच को लेकर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। रेलों के टकराव से होने वाली दुर्घटनाओं न हो इसके लिए बहुत काम होने की बात भी कही है। बजट इतना बडा है कि यहां तकनीकीकरण को बहुत बढ़ावा दिया जा सकता है। इसमें ट्रैकमैन, असिस्टेंट पॉइंट्समैन, गनमैन, केबिनमैन, हेल्पर, प्यून व ही-मैन को अधिक सुरक्षा प्रदान की जाए, जिसके अंतर्गत उनको हर गतिविधी का अलर्ट मिलता रहे। दरअसल, इस बार तकनीकी प्रारूप बढ़ाने पर ज्यादा काम होगा, चूंकि जब किसी की किसी खामी का तकनीकी के अभाव में मृत्यु होती है तो हमें बेहद दुख होता है, लेकिन इस बार इसके लिए इतना बड़ा बजट है कि इस क्षेत्र में बहुत काम होगा, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। मंत्री जी ने कहा है कि देश के प्रमुख रेलवे रूट पर कचव का अपग्रेड वर्जन 4.O लगाने का काम तेजी से किया जाएग। कवच के नए वर्जन को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन में अप्रूवल दे दिया है। भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त रूटों में से दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता शामिल हैं। इन दोनों रूटों को कवच से लैस किया जा रहा है। साथ ही मुंबई-चेन्नई व चेन्नई-कोलकाता रूट पर भी कवच लगाया जाएगा। इस तरह कुल मिलाकर करीब नौ हजार किमी लंबे ट्रैक को कचव से लैस करने की तैयारी है।
इस बार रेल कर्मचारियों के हितों के लिए क्या है?
रेल कर्मचारियों के कई अहम बिंदु है, जिस पर इस बार काम किया जाना चाहिए। किसी की ड्य़ूटी के दौरान मौत होने पर उसके परिजन को तुरंत नौकरी दी जाती है। नौकरी तो पहले भी दी जाती थी, लेकिन इस बार प्रक्रिया को छोटा व सरल बना दिया गया है। इसके अलावा रेलवे में पुरानी पेंशन योजना की बहाली, केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में संशोधन, महंगाई भत्ते और महंगाई राहत का भुगतान के अलावा चार-पांच बड़े मुद्दे और हैं। जिस पर समाधान निकालने की बात की जा रही है। रेलवे के कर्मचारियों को जितनी सुविधा मिलेगी, उससे इस क्षेत्र में काम भी गंभीरता से होगा। सरकार को उनकी हर जरूरत का ख्याल रखना चाहिए।
इस बार भी रेल बजट का अलग दिन रखा गया, जबकि दो बार से पहले हर बार आम बजट के दिन ही होता था। ऐसा क्यों और क्या आगे भी ऐसा होता रहेगा?
जैसा कि ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने 21 सितंबर 2016 को रेल बजट को आम बजट के साथ शामिल करने की मंजूरी दी थी। उस समय स्व. अरुण जेटली उस समय वित्त मंत्री थे। उन्होंने 1 फरवरी, 2017 को आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट पेश किया था, जिसमें रेल और आम बजट एक साथ शामिल थे। लेकिन मेरा मानना है कि यह सही नहीं हुआ कि आम बजट में ही रेल बजट को शामिल कर दिया। सभी क्षेत्र के बजट पारित एक होना संभव व उचित लगते थे, लेकिन रेल बजट इतना बड़ा बजट होता है, उसके लेकिन एक दिन की चर्चा व नीति बनाना और समझना चुनौतीपूर्ण हो गया। रेल बजट अलग पेश होने से बहुत सारी सुविधाएं भी थी। जैसा कि प्रोजेक्ट के सेंशन के लिए बार-बार वित्त मंत्रालय के पास नही जाना होता था, लेकिन अब प्रक्रिया बडी हो गई। इसके अलावा भी बहुत सारी चीजें ऐसी हो गई, जिसके अब अतिरिक्त मेहनत लगेगी।

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