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लाडली बहनों के बाद अब … नौनिहालों से भी सौतेला व्यवहार कर रही है सरकार! … सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना के हजारों मामले खा रहे हैं धूल

– दो महीने से लाभार्थियों के खाते में नहीं आई एक भी कौ़ड़ी
सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी २.० सरकार ने महिला व बाल विकास आयुक्तालय को करोड़ों रुपए का फंड दिया है, लेकिन करीब दो सालों से महाराष्ट्र के लाखों नौनिहालों को क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना का लाभ नियमित, सरल और सुगम तरीके से नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि योजना के हजारों मामले न केवल धूल फांक रहे हैं, बल्कि कई लाभार्थियों के खाते में पिछले दो महीनों से पैसे नहीं मिल रहे हैं। कुल मिलाकर ईडी २.० ने लाडली बहनों के साथ-साथ अब महाराष्ट्र के लाखों बच्चों के साथ भी सौतेला व्यवहार करना शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न बीमारियों और अन्य कारणों से माता-पिता की मृत्यु हो जाने या देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले शून्य से १८ वर्ष तक के बच्चों के लिए यह योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत शिक्षा और बालसंगोपन के लिए प्रतिमाह २,२५० रुपए दिए जाते हैं, जबकि कोविड-१९ महामारी के दौरान माता-पिता या दोनों को खोने वाले एकल या अनाथ बच्चों को केंद्र सरकार की प्रायोजित योजना के तहत शिक्षा और संगोपन के लिए प्रतिमाह ४,००० रुपए का लाभ मिलता है। मौजूदा समय में राज्य में लगभग एक लाख बच्चे क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना के लाभार्थी हैं। नौनिहालों के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने के मामले को इस क्षेत्र में राज्य स्तर पर काम करने वाली मिशन वात्सल्य सरकारी समिति के सदस्य और महाराष्ट्र साऊ एकल महिला समिति के समन्वयक मिलिंद कुमार सालवे ने उजागर किया है।
योजना में हजार रुपए की हुई थी वृद्धि
पिछली सरकार में बजट में योजना के अनुदान को प्रतिमाह १,१०० से बढ़ाकर २,२०० रुपए करने और डीबीटी प्रणाली के माध्यम से प्रतिमाह देने की घोषणा की गई थी। केंद्र की प्रायोजित योजना का पैसा लाभार्थियों को काफी हद तक मिल रहा है। राज्य की योजना के लिए बजट में भरपूर प्रावधान कर मंत्रालय द्वारा पुणे स्थित महिला व बाल विकास आयुक्त के बैंक खाते में करोड़ों रुपए का अनुदान जमा किया गया है। हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष के १० महीने बीत जाने के बाद भी योजना का पैसा लाभार्थियों के बैंक खाते में नहीं पहुंचा है।

गंभीर नहीं दिख रहे अधिकारी
इस मामले के उजागर होने के बाद महिला व बाल विकास आयुक्तालय के तत्कालीन आयुक्त प्रशांत नारनवरे ने राज्य के जिला महिला व बाल विकास अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके बाद भी ये अधिकारी बालसंगोपन योजना के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में पैसा न जमा करने और प्रस्ताव मंजूर करने में देरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।

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