मंत्री महोदया की स्वीकारोक्ति, पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर बुरा असर
सामना संवाददाता / मुंबई
पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे ने माना कि ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं और महानगरपालिका क्षेत्रों से बहने वाला भारी मात्रा में अनुपचारित (बिना शुद्ध किए) प्रदूषित पानी नदियों में सीधे मिल रहा है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसे रोकने के लिए पर्यावरण विभाग एक व्यवस्थित और तकनीकी योजना तैयार करेगा, जिसमें नदियों और झीलों के संरक्षण के उपाय शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, तकनीकी प्रकोष्ठ की स्थापना कर स्थानीय स्वशासी संस्थाओं को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से नवीन जल प्रबंधन तकनीकों की जानकारी दी जाएगी।
कृषि में कीटनाशकों का उपयोग जल प्रदूषण का बड़ा कारण
मंत्री ने यह भी कहा कि कृषि में कीटनाशकों का उपयोग भी जल प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। इसे रोकने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर सख्त प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू करने की आवश्यकता है। इसमें जनजागरण अभियान, आवश्यकतानुसार कानूनी कार्रवाई, और पर्यावरण नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना शामिल होगा। उन्होंने नागरिकों से पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी की अपील की, ताकि भविष्य की पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण और बेहतर स्वास्थ्य मिल सके। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नदियों और झीलों में सीवेज (गंदा पानी) के प्रवाह को रोकने और प्रदूषित पानी के पुन: इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण विभाग एक योजना तैयार करेगा। साथ ही तकनीकी प्रकोष्ठ (टेक्निकल सेल) की स्थापना की जाएगी, जो नगरपालिका और महानगरपालिकाओं में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई तकनीकों के कार्यान्वयन में मदद करेगा। इस कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल और आईआईटी पवई के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।