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कानूनी सहारा लेकर भाजपा कर रही राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने की साजिश! …सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका का यही है संदेश

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपना रही है। ईवीएम पर तो पूरे देश में उंगलियां उठ ही रही हैं, अब कानून का सहारा लेकर भी अपने विरोधियों को घेरने और उनका खेल खत्म करने के लिए जनहित याचिका का भी सहारा लिया जा रहा है। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें दोषी नेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार जब उन्हें दोषी ठहराया जाता है और दोषसिद्धि बरकरार रखी जाती है, तो लोग संसद और विधानमंडल में कैसे वापस आ सकते हैं? इसका उन्हें जवाब देना होगा।
पीठ ने आगे कहा कि हमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा ८ और ९ के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यदि कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता का दोषी पाया जाता है तो उसे व्यक्ति के रूप में भी सेवा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, लेकिन मंत्री बन सकता है।

कोर्ट ने दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि एक पूर्ण पीठ (तीन न्यायाधीशों) ने सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे पर पैâसला सुनाया था इसलिए खंडपीठ (दो न्यायाधीशों) द्वारा मामले को फिर से खोलना अनुचित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को एक बड़ी पीठ के विचार करने के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

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