-तानाजी की धमकी के बाद
-आनन-फानन में लौटा बेटा
सामना संवाददाता / मुंबई
शिंदे गुट के पूर्व मंत्री व विधायक तानाजी सावंत के बेटे ऋषिराज सावंत के सोमवार देर रात अचानक गायब होने की खबर आई। देर रात खबर चली कि वह अपने दोस्तों के साथ थाईलैंड जाने की तैयारी में थे, लेकिन बाद में वे बैंकॉक उतरने से पहले ही निजी विमान से वापस पुणे लौट आए।
उनके पुणे लौटने का ‘मिशन इम्पॉसिबल’ भले चर्चा में हो लेकिन वे बैंकॉक क्यों जा रहे थे, यह सवाल लोगों के मन में उठ रहा है। चर्चा है कि वे बैंकॉक नहीं बल्कि थाईलैंड जा रहे थे। यह नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है कि मंत्रियों के बेटे थाईलैंड जाते हैं। अब यह बताना मुनासिब है कि वे थाईलैंड क्या करने जाते हैं। सूत्रों के अनुसार तानाजी सावंत ने भले ही प्रेस कॉन्प्रâेंस में इस मुद्दे पर सफाई देने की कोशिश की हो, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की कहानी कुछ और ही नजर आ रही है। तानाजी भले बता रहे हैं कि उनके बेटे की फ्लाइट बैंकॉक जा रही थी, लेकिन उसकी मंजिल को लेकर अब भी लोगों के मन में संदेह बना हुआ है।
दूसरी तरफ तानाजी सावंत के करीबी बताते हैं कि इनके परिवार में विवाद चल रहा है। इसी विवाद के चलते ऋषिराज बैंकॉक जाने वाला था, लेकिन तानाजी ने अपनी पूरी राजनीतिक ताकत झोंकते हुए सभी सीमाओं को लांघ दिया और उड़ चुके विमान से अपने बेटे को वापस बुला लिया। तानाजी के बेटे को वापस लाने के लिए पुलिस से लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय तक हर स्तर पर तेजी से काम किया गया, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है।
नेताजी ने झोंकी ताकत
ऋषिराज सावंत ने सोमवार को बैंकॉक जाने के लिए एक चार्टर्ड फ्लाइट बुक की थी, ऋषिराज अपने दोस्तों के साथ पुणे के लोहेगांव एयरपोर्ट से बैंकॉक के लिए फ्लाइट में सवार हो गया। जब बेटे ने किसी की बात नहीं सुनी तो तानाजी ने दूसरा तरीका अपनाने का पैâसला किया।
उनके ड्राइवर ने बताया कि ऋषिराज को एयरपोर्ट पर छोड़ दिया गया है। तब तक ऋषिराज की फ्लाइट बैंकॉक के लिए उड़ान भर चुकी थी। इस समय तानाजी सावंत का अनुभवी राजनेता सक्रिय हो गया। उन्होंने सबसे पहले पुणे पुलिस से संपर्क किया, लेकिन उड़ चुके विमान को वापस बुलाने के लिए कोई ठोस कारण जरूरी था। इसलिए तानाजी ने सिंहगढ़ पुलिस थाने में अपने बेटे के अपहरण की शिकायत दर्ज करवाई। इस खबर के पैâलते ही हड़कंप मच गया।
इसके बाद तानाजी सावंत ने अपने राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल किया। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री मुरलीधर मोहोल ने इसमें अहम भूमिका निभाई। उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल के जरिए चार्टर्ड फ्लाइट के पायलट से संपर्क साधा। तब तक विमान बंगाल की खाड़ी के ऊपर उड़ रहा था। एटीसी ने पायलट को तुरंत वापस लौटने के निर्देश दिए और यह जानकारी ऋषिराज को नहीं दी गई। आखिरकार, फ्लाइट ने यू-टर्न लिया और पुणे के लोहेगांव एयरपोर्ट पर लैंड किया। जैसे ही ऋषिराज ने एयरपोर्ट का नजारा देखा, उसे गहरा झटका लगा। यह पूरा घटनाक्रम किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था!