श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए लगी पांच किलोमीटर लंबी लाइन
उमेश गुप्ता/वाराणसी
माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए काशी में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध और राजघाट तक लोग गंगा में आस्था की डुबकी लगाते दिखे। ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान का विशेष पुण्य मिलता है। लोगों ने गंगा स्नान करने के बाद बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। इस दौरान बाबा के दर्शन को पांच किलोमीटर लंबी लाइन लगी। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन मुस्तैद रहा। गंगा घाटों और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में भारी पुलिस फोर्स की तैनाती के साथ ही ड्रोन से निगरानी हो रही है।
माघ पूर्णिमा स्नान के लिए काशी में एक-दो दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा था। स्थानीय के साथ ही लाखों की संख्या में बाहरी श्रद्धालु उत्तरवाहिनी गंगा की पवित्र धारा में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे थे। माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार की भोर से ही श्रद्धालुओं का रेला घाटों पर उमड़ने लगा था। लगभग 20 लाख श्रद्धालुओ के गंगा स्नान की संभावना जताई गई। लोग गंगा में डुबकी लगाकर घाटों पर पंडों-पुरोहितों को दान भी दिए।
माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए काशी के प्रमुख दशाश्वमेध, अस्सी घाट समेत 10 घाटों पर सबसे अधिक भीड़ रही। अक्षय फल की प्राप्ति को लेकर लोगों स्नान के बाद दान पुण्य किया। हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। विदेशों से भी काफी संख्या में लोग यहां स्नान दान के लिए पहुंचे। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान और दान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर स्नान से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गाय, तिल, गुड़, और कंबल का दान इस मास में विशेष पुण्य फल देता है।
माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया। ऐसे में बाबा का दरबार हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान रहा। बाबा के दर्शन को भोर से ही श्रद्धालुओं की कतार लगी। लगभग पांच किलोमीटर लंबी लाइन लगी। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रण करने में कमिश्नरेट पुलिस जुटी हुई रही।