राजेश सरकार / प्रयागराज
पश्चिम देश जहां सनातनी संस्कृति को समझने के लिए भारत आते हैं। वहीं भारतीय अपने को भले ही गर्व से सनातनी कहें, लेकिन देश को कचरा बनाने में इनको परहेज नहीं है। नलों का शुद्ध पानी पीने के बजाय बोतल बंद पानी पीकर बोतल कहीं भी फेंक देने की इनकी आदतों से पर्यावरण संरक्षण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इसका आभास कराने को महाकुंभ में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को लेकर अनूठा प्रयोग किया गया है। इसके तहत जल कलश पहल लोगों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसकी स्थापना अरैल घाट सेक्टर 24 निषाद राज मार्ग में की गई है। जल कलश में कुंभ क्षेत्र में प्रयोग कर फेंकी गई पानी की बोतलों को इकठ्ठा किया गया है और इन बोतलों को रिसाइकिल कर उपयोग में लाया जाएगा, जिससे प्रकृति में इन प्लास्टिक की बोतलों का दुष्प्रभाव न पड़ सके। अभियान के दौरान 20,000 से अधिक प्लास्टिक की बोतलें एकत्र की गई हैं। नमामि गंगे मिशन के पूर्व महानिदेशक जी अशोक कुमार के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के सहयोग से इसे शुरू किया गया। जल कलश पहल 1 से 20 फरवरी, तक एचसीएल फाउंडेशन के सहयोग से डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स की ओर से आयोजित 20 दिवसीय अभियान है। स्थानीय स्तर पर आदर्श सेवा समिति व मंगल भूमि फाउंडेशन इस पहल में सहयोग कर रही हैं। कुंभ क्षेत्र में जल कलश की स्थापना कर यह संदेश दिया गया है कि मां गंगा की अविरलता और निर्मलता में यह प्लास्टिक बाधा है। इन प्लास्टिक की बोतलों को एक कलश में रखकर यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि प्लास्टिक को गंगा और गंगा के क्षेत्र में नहीं जाने देना है, जिससे हमारी गंगा अविरल और निर्मल रहे। पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता रामबाबू तिवारी बताते हैं कि मां गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए समाज को अलग-अलग तरीके से प्रयास करने होंगे। मसलन इस बार कुम्भ में एक थाली एक थैला अभियान के माध्यम से गंगा में प्रदूषण होने से बचाया गया। इस प्रकार से जल कलश के माध्यम से भी गंगा को प्रदूषण होने से रोका गया है। जल कलश पहल में मीरा देवी, अरुण कुमार, राज, ऋषिका, यशी, सतीश समेत बहुत सारे स्वयंसेवक हिस्सा ले रहे हैं।