बावनकुले के घर पर हुई बैठक के बाद बदला रुख
सामना संवाददाता / मुंबई
बीड जिले के मस्साजोग तालुका के सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड को लेकर जारी राजनीतिक घमासान अब एक नया मोड़ ले चुका है। भारतीय जनता पार्टी और अजीत पवार गुट के बीच बढ़ते मतभेदों के बीच दो प्रमुख चेहरे धनंजय मुंडे और सुरेश धस हर दिन सुर्खियों में बने हुए थे। पहले सुरेश धस लगातार यह बयान दे रहे थे कि संतोष देशमुख के हत्यारों को बख्शा नहीं जाएगा और मास्टरमाइंड को सजा मिलेगी। उन्होंने यह भी इशारा किया था कि हत्याकांड के पीछे एक बड़ा आका हो सकता है, जिसे वे बेनकाब करेंगे, लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के घर पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जो करीब साढ़े चार घंटे चली। इस बैठक के बाद धनंजय मुंडे को लेकर जारी विवाद शांत होता दिखा और वे मिस्टर क्लीन बन गए।
बताया जा रहा है कि सुरेश धस के बयानों से अजीत पवार के करीबी माने-जानेवाले धनंजय मुंडे की मुश्किलें बढ़ रही थीं। विपक्ष के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार के कुछ मंत्रियों में भी असंतोष था और उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। इसी पृष्ठभूमि में बावनकुले ने मध्यस्थता करते हुए यह बैठक आयोजित की, जिसके बाद सुरेश धस ने अचानक अपना रुख बदल लिया।
पहले सुरेश धस इसे अपना प्रमुख मुद्दा बनाकर मुखर थे, लेकिन बैठक के बाद उनके सुर बदल गए। अब सवाल उठ रहा है कि अगर सरकार भाजपा की है और गृहमंत्री भी उन्हीं का है तो आरोपियों को सजा दिलाने में देरी क्यों हो रही है? क्या किसी बड़े नेता का दबाव है?
परिवार को अब भी न्याय का इंतजार
संतोष देशमुख का परिवार आज भी न्याय की गुहार लगा रहा है। उन्हें बार-बार सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करना पड़ रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। बावनकुले ने कहा है कि सभी को साथ लाकर न्याय दिलाया जाएगा, लेकिन लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर यह देरी किसके इशारे पर हो रही है?
आरोपी अब तक बाहर क्यों?
९ दिसंबर २०२४ को संतोष देशमुख की हत्या हुई थी। इस मामले में मुख्य आरोपी वाल्मीक कराड का नाम सामने आया, जो धनंजय मुंडे के करीबी माने जाते हैं। परिवार और स्थानीय लोगों की लगातार मांग के बावजूद, अब तक आरोपियों को फांसी की सजा नहीं मिली है।