सामना संवाददाता / नई दिल्ली
महाकुंभ के लिए जा रहे यात्रियों की भीड़ के बीच एकबार फिर भगदड़ मच गई। जिसमें १८ लोगों की मौत हो गई है। यह पूरी तरह से सरकारी व्यवस्था और रेलवे प्रशासन की नाकामी का नतीजा है। जांच में पता चला है कि स्टेश पर हर घंटे एक्सप्रेस की गति से १,५०० जनरल टिकट काटे जा रहे थे, जबकि स्टेशन के भीतर इतने लोगों को संभालने की छमता नहीं थी। पुलिस उपायुक्त (रेलवे) ने अपने आधिकारिक बयान में बताया, ‘रेलवे द्वारा हर घंटे १,५०० सामान्य टिकट बेचे जा रहे थे, जिसके कारण स्टेशन पर भीड़ बढ़ गई और स्थिति बेकाबू हो गई। प्लेटफार्म नंबर १४ और प्लेटफार्म नंबर १६ के पास एस्केलेटर के पास भगदड़ मच गई।
नाम ने की गड़ब़ड़
‘प्रयागराज’ नाम से दो ट्रेनें थीं। ‘प्रयागराज एक्सप्रेस’ और ‘प्रयागराज स्पेशल’। प्रयागराज स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म नंबर-१६ पर पहुंचने की घोषणा से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, क्योंकि प्रयागराज एक्सप्रेस पहले से ही १४ नंबर पर खड़ी थी। जो लोग वहां नहीं पहुंच सके, उन्हें लगा कि उनकी ट्रेन १६ नंबर पर आ रही है जिससे भगदड़ मच गई।
बेटिकट यात्रियों की भीड़
लापरवाही का एक और बड़ा कारण था, बिना टिकट यात्रा करने वालों की भीड़। अमूमन कई यात्री बिना टिकट रेल यात्रा करते ही हैं। ऐसे में यहां भी यह आलम देखने को मिला। चश्मदीदों की मानें तो कई ऐसे यात्री थे, जो बिना टिकट ही ट्रेनों में चढ़ने के लिए आ पहुंचे थे। उन्हें लगा कि भीड़ में कहां कोई टिकट चेक कर पाएगा। यह पूरी तरह से रेल प्रशासन का फेल्योर था। जब इतनी भीड़ वहां जुट रही थी तो वहां पुलिस और टिकट चेकरों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई गई?
पैसे के लालच में हादसा
रेलवे ने सिर्फ पैसे कमाने पर जोर दिया। अगर इतनी संख्या में टिकट न बेचे जाते तो शायद इतनी भीड़ प्लेटफार्म पर एकत्रित न होती। दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रयागराज की ओर जाने वाली चार ट्रेनें थीं, जिनमें से तीन ट्रेन देरी से चल रही थीं, जिसके कारण स्टेशन पर अप्रत्याशित भीड़भाड़ हुई।