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खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे … ‘लाडली बहनों’ के बाद अब ‘लाडले भाइयों’ को झटका!

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
ईडी २.० सरकार दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है। सरकारी खजाना खाली हो चुका है। ऐसे में इसे बचाने के लिए यह सरकार कई तरह के हथकंडे अपना रही है। इसी के तहत वर्तमान में मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के मानदंडों को सख्ती से अमल करते हुए लाभार्थियों की जांच की जा रही है। लाडली बहनों के बाद अब राज्य के लाडले भाइयों को भी झटका देने की तैयारी इस सरकार ने कर लिया है। इसके तहत मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना में भी मानदंडों को ध्यान में रखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई इस योजना में केवल डेढ़ महीने में लगभग साढ़े चार लाख युवाओं ने आवेदन किया था, जिनका प्रशिक्षण फरवरी के अंत तक पूरा होगा, लेकिन अब अगले चरण में आवेदन करनेवाले प्रत्येक युवा के साथ ही श्रमिकों की मांग करने वाले प्रतिष्ठानों और उद्योगों की भी जांच की जाएगी। इतना ही नहीं, अब सरकारी कार्यालयों की बजाय सिर्फ निजी उद्योगों में ही प्रशिक्षण दिया जाएगा।

सरकार दिखा रही असली चेहरा
हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले आवेदन करनेवाले युवाओं को जल्दबाजी में उनकी पसंद के अनुसार सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों व उद्योगों में प्रशिक्षण का अवसर दिया गया था। उस समय न तो उद्योगों की और न ही आवेदन करने वाले युवाओं की जांच की गई थी।

अब केवल निजी उद्योगों में मिलेगा प्रशिक्षण
-प्रतिष्ठानों और आवेदकों दोनों की होगी जांच

विधानसभा चुनाव बीतने के बाद महायुति सरकार ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। इसके तहत अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आवेदन करनेवाले युवा वास्तव में मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठानों और निजी उद्योगों में प्रशिक्षण के पात्र हैं या नहीं। साथ ही प्रतिष्ठानों की पात्रता की भी दस्तावेजों के माध्यम से जांच की जाएगी, ताकि कोई भी गलत तरीके से योजना का लाभ न उठा सके।
योजना के तहत कौशल, रोजगार, उद्यमिता, नवाचार विभाग की वेबसाइट पर पंजीकृत निजी प्रतिष्ठानों और उद्योगों को उनकी कुल कार्यरत मानव संसाधन का १० फीसदी और सेवा क्षेत्र के लिए २० फीसदी प्रशिक्षुओं को शामिल करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार के सरकारी, अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों, उद्योगों और मनपाओं में स्वीकृत पदों के ५ फीसदी प्रशिक्षु शामिल किए जा सकते हैं। फिर भी अधिकांश आवेदकों ने सरकारी प्रतिष्ठानों में ही प्रशिक्षण के लिए आवेदन किया था। अब इनमें से अधिकांश युवाओं ने स्थाई नियुक्ति की मांग की है। साथ ही इस संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा गया है। भविष्य में इसे किसी समस्या का कारण न बनने देने के लिए अब युवाओं को केवल निजी उद्योगों में ही प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना के तहत पंजीकृत प्रतिष्ठानों और निजी उद्योगों की जांच होगी। इसके साथ ही प्रशिक्षण के लिए आवेदन करनेवाले युवाओं की शिक्षा, निवास प्रमाण पत्र और आयु जैसी पात्रताओं की जांच विभाग द्वारा की जा रही है। इस योजना के तहत आवेदन करनेवाले पात्र युवाओं को अब निजी प्रतिष्ठानों और उद्योगों में ही प्रशिक्षण का सबसे अधिक अवसर दिया जाएगा।

कार्य प्रशिक्षण योजना की स्थिति
– हर साल प्रशिक्षुओं का लक्ष्य – १० लाख
– वार्षिक बजट की आवश्यकता – ८०० करोड़ रुपए
– प्रशिक्षण की अवधि – ६ महीने
– प्रतिमाह मिलने वाला स्टाइपेंड – ६,००० से १०,००० रुपए

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