सामना संवाददाता/ मुंबई
मुंबई मनपा के चारकोल तंदूर बैन के बाद अब बेकरी उद्योग पर भी नई पाबंदियां लागू की जा रही हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद मनपा ने बेकरी मालिकों को लकड़ी और डीजल से चलने वाले पारंपरिक ओवन हटाने और गैस या इलेक्ट्रिक ओवन अपनाने का नोटिस दिया है। इस पैâसले के खिलाफ बेकरी मालिकों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है और इसे अव्यवहारिक बताया है।
आईबीए का विरोध
इंडिया बेकर्स एसोसिएशन (आईबीए) ने विधायक राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर इस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। आईबीए की मानें तो मुंबई की कई बेकरी ५० से १०० साल पुरानी हैं और इनमें हमेशा पारंपरिक लकड़ी से जलने वाली भट्ठियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये ओवन खासतौर पर र्इंट और सीमेंट से बनाए जाते हैं, जिनमें लकड़ी जलकर धीरे-धीरे कोयले में बदल जाती है और पूरे दिन समान रूप से गर्मी देती है।
गैस और बिजली से चलने वाले ओवन से बेकरी उद्योग को खतरा
आईबीए और बेकरी मालिकों का कहना है कि गैस ओवन लगाने के लिए हर बेकरी को कम से कम १० से २५ सिलेंडर की जरूरत होगी, जिससे आग और विस्फोट का खतरा बढ़ जाएगा। कई बेकरी घनी आबादी वाले इलाकों में चल रही हैं, जहां इतनी मात्रा में सिलेंडर रखना बेहद खतरनाक हो सकता है। पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) भी हर इलाके में उपलब्ध नहीं है, जिससे कई बेकरी इस सिस्टम में बदलाव नहीं कर पा रही हैं। आईबीए ने यह भी कहा कि १५० स्क्वायर फीट की डोम-शेप बेकरी में इलेक्ट्रिक ओवन फिट नहीं हो सकते। इसके अलावा, बिजली की बढ़ती कीमतों के कारण यह आर्थिक रूप से नुकसानदायक होगा।
लाखों का खर्च, लेकिन कोई राहत नहीं!
बेकरी संचालकों ने साफ कहा है कि गैस या इलेक्ट्रिक ओवन में बदलाव करने में १५-२० लाख रुपए तक खर्च होगा, जो छोटे और मध्यम स्तर के बेकरी मालिकों के लिए बहुत भारी पड़ सकता है। अगर सरकार यह बदलाव अनिवार्य बना रही है, तो उन्हें ५०-६० फीसदी की सब्सिडी और सस्ते लोन की सुविधा दी जानी चाहिए, लेकिन अभी तक कोई सरकारी सहायता योजना घोषित नहीं की गई है।
क्या वड़ा पाव भी होगा महंगा?
बेकरी मालिकों ने चेतावनी दी है कि अगर जबरदस्ती यह बदलाव लागू किया गया, तो पाव की सप्लाई पर असर पड़ेगा। वड़ा पाव मुंबई का सबसे सस्ता और लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है और अगर पाव की कीमत बढ़ी, तो आम लोगों पर सीधा असर पड़ेगा।