भारी विरोध के बाद सरकार ने बदला फैसला
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने अपने ही पैâसले को पलटते हुए मध्याह्न भोजन योजना में फिर से अंडे और केले देने का एलान किया है। पहले सरकार ने २८ जनवरी को एक आदेश जारी कर अंडों और चीनी की फंडिंग बंद कर दी थी, जिससे लाखों छात्रों के पोषण पर असर पड़ सकता था। इस पैâसले का भारी विरोध हुआ, जिसके बाद सरकार को झुकना पड़ा।
अंडा हटाने का क्यों हुआ विरोध?
२०२३ में सरकार ने ५० लाख बच्चों के लिए हफ्ते में एक बार अंडे या केले देने की योजना शुरू की थी। इसके लिए ५० करोड़ रुपए का बजट रखा गया था, लेकिन कुछ संगठनों के विरोध के बाद सरकार ने अचानक इसे बंद कर दिया। शिक्षा विशेषज्ञों, स्कूल प्रबंधन समितियों और शिक्षकों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि बच्चों को पोषण से वंचित करना गलत है।
अब सरकार ने क्या किया?
भारी दबाव के बाद शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने घोषणा की कि अब हफ्ते में एक बार फिर से अंडे और केले दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, सरकार ने इस योजना के लिए बजट भी बढ़ाकर १०० करोड़ रुपए कर दिया है।
बाकी राज्यों में क्या हो रहा है?
मध्याह्न भोजन में अंडों को लेकर कई राज्यों में विवाद हो चुका है। मध्य प्रदेश और गोवा में भी अंडे पर रोक लगी थी, जबकि कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों ने इसे बढ़ा दिया। कर्नाटक में अब बच्चों को हफ्ते में छह दिन अंडे मिलेंगे, जबकि केरल सरकार ने भी बजट बढ़ाकर अंडा और दूध देने की योजना बनाई है।