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५ महीनों में ३,००० किमी की गिद्ध ने भरी उड़ान …महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ के जंगलों में पहुंचा

-भूखा-प्यासा, बेजार मिला पक्षीराज
-वन विभाग की लापरवाही हुई उजागर

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) से उड़ान भरने वाला सफेद पीठ वाला गिद्ध (एन१०) ५ महीने में ३,००० किमी की दूरी तय करने के बाद छत्तीसगढ़ के जंगलों में कमजोर और डीहाइड्रेटेड हालत में मिला।
वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने इस गिद्ध को जीपीएस टैग कर जंगल में छोड़ा था, लेकिन उड़ान के दौरान उसकी कोई निगरानी नहीं की गई। महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तेलंगाना होते हुए छत्तीसगढ़ तक यह गिद्ध अपने सफर में भूख और प्यास से जूझता रहा। अगर समय रहते इस पर ध्यान दिया जाता, तो इसकी हालत इतनी खराब नहीं होती।
संरक्षण के नाम पर कागजी दावे
सरकार और वन विभाग गिद्धों की घटती संख्या को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। १९९० से २००६ के बीच डाइक्लोफेनाक नामक दवा के कारण गिद्धों की संख्या तेजी से घटी थी, जिसे २००६ में बैन कर दिया गया। इसके बाद गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
वन विभाग का कहना है कि गिद्ध को पूरी तरह स्वस्थ करने के बाद अचनकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन गिद्धों की सही देखभाल करेगा या फिर संरक्षण के नाम पर सिर्फ आंकड़े बढ़ते रहेंगे?

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