सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री कोटा के तहत दिए जाने वाले आवास गरीब और जरूरतमंदों के लिए थे। हालांकि, १९९५ में माणिकराव और उनके भाई ने उन्हें हड़प लिया। यह एक अत्यंत घृणित कृत्य है, लेकिन आखिरकार ३० साल बाद इस मामले का पैâसला आ गया है। जिन अनामिक गरीबों का हक कोकाटे ने छीना, उनकी हाय उन्हें लगी। इसी के साथ ही सत्य की जीत हुई है। इस तरह का तीखा तंज राकांपा (शरदचंद्र पवार) के विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने कसा है।
मुख्यमंत्री कोटा से दिए जाने वाले आवासों को हथियाने के लिए नकली दस्तावेज तैयार के मामले में कृषि मंत्री एड. माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में नासिक जिला अदालत ने प्रत्येक को दो साल की जेल और ५० हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाते हुए माणिकराव कोकाटे को महज दो घंटे में जमानत भी मंजूर कर दी है। हालांकि, इसी मुद्दे को लेकर विरोधियों ने आरोपों की बौछार करते हुए मंत्री माणिकराव कोकाटे के इस्तीफे की जोरदार मांग की है। इसी बीच विधायक आव्हाड ने अदालत के पैâसले का हवाला देते हुए इस मामले पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि मंत्री होने के कारण उनकी प्रतिष्ठा खराब हो सकती है, लेकिन अवैध कृत्य करने पर कानून उन्हें माफ नहीं कर सकता। कोई भी हो, धोखाधड़ी के अपराधों को माफ करना उचित नहीं है। यह संदेश देना जरूरी है। ये मेरे नहीं, बल्कि माननीय अदालत के शब्द हैं। जीतेंद्र आव्हाड ने एक्स सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए यह आलोचना की है। आव्हाड ने कहा कि किसान भाई-बहन दिन-रात खेतों में मेहनत करके कठिनाई से रोटी कमाते हैं, उनकी तुलना कुछ दिन पहले कोकाटे ने भिखारियों से की। वाह रे न्याय! मतलब मेहनत से रोटी कमाने वाले भिखारी और किसानों जैसे कमजोर वर्ग के नाम पर आवास लूटने वाले ये गरीब! इसलिए ऐसे गैंडे की खाल वाले व्यक्ति से राजनीतिक और सामाजिक नैतिकता की उम्मीद करके उनसे मंत्री पद से इस्तीफा देने की अपेक्षा रखना हास्यास्पद है।