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रानीबाग में सिंह की दहाड़ का इंतजार! …११ साल से मनपा के दावों पर सवाल

जेब्रा लाने की योजना भी रही नाकाम
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के वीर जीजामाता उद्यान (रानीबाग) में २०१४ से सिंह की दहाड़ सुनाई नहीं दी है। आखिरी सिंहनी ‘जिमी’ की मौत के बाद मनपा प्रशासन अब तक नए सिंह लाने में असफल रहा है। जूनागढ़ स्थित साकरबाग प्राणी संग्रहालय से सिंहों की जोड़ी लाने की योजना बनी थी, लेकिन मनपा की लचर कार्यशैली के चलते यह योजना अब तक अधूरी है।
मनपा ने जूनागढ़ से सिंह लेने के बदले में दो जेब्रा देने का समझौता किया था, लेकिन खुद रानीबाग में जेब्रा नहीं लाया जा सका। रिपोर्ट की मानें तो इजराइल से जेब्रा मंगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस (एएचएस) बीमारी के खतरे को देखते हुए इसे खारिज कर दिया। अब यूरोप और अमेरिका से जेब्रा लाने की योजना बनाई गई, जिससे लागत और समय बढ़ गया।
११ साल से की जा रही प्रतीक्षा
२०१० में सिंहनी ‘अनिता’ और २०१४ में ‘जिमी’ की मौत के बाद से रानीबाग में सिंह की संख्या शून्य हो गई। गुजरात और इंदौर के चिड़ियाघरों से दो-दो सिंह लाने की योजना भी इसी वजह से अटकी पड़ी है। मनपा की नाकामी के कारण ११ साल बाद भी रानीबाग वीरान पड़ा है, जबकि पर्यटक और मुंबईकर सिंहों की गर्जना सुनने का इंतजार कर रहे हैं।

मनपा की कार्यशैली पर उठ रहीं उंगलियां
थाईलैंड की एक कंपनी को जेब्रा लाने का ठेका दिया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। पहले ४ जेब्रा मंगाने के लिए ८० लाख रुपए खर्च होने का अनुमान था, लेकिन अब नई प्रक्रिया के कारण खर्च और बढ़ सकता है। इस देरी का सीधा असर सिंहों की उपलब्धता पर पड़ा है।

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