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रोजी-रोटी के लिए मूर्ति कारीगर जाएंगे कोर्ट!..प्रदूषण मंडल ने पीओपी पर लगाया है प्रतिबंध…श्रीगणेश मूर्तिकार संघ ने लिया फैसला

सामना संवाददाता / मुंबई

श्रीगणेश मूर्तिकारों के संगठन ने पीओपी की मूर्तियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ अदालत जाने का फैसला किया है। चूंकि इस प्रतिबंध के कारण पीओपी के कई मूर्तिकार अपना धंधा खो देंगे इसलिए श्रीगणेश मूर्तिकार संघ ने अपना पक्ष रखने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा २०२० में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, विभिन्न कारणों से इस निर्णय के कार्यान्वयन में देरी हुई। हालांकि, हाई कोर्ट की फटकार के बाद मनपा प्रशासन ने इस साल के माघी गणेशोत्सव से १०० फीसदी पीओपी बैन लागू करने का फैसला किया था। माघी गणेश जयंती उत्सव के दौरान कहीं भी पीओपी की गणेश प्रतिमाएं बेचने की अनुमति नहीं थी। ३० जनवरी को हाई कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी), राज्य सरकार और मुंबई मनपा समेत अन्य मनपाओं को श्रीगणेश प्रतिमाओं के विसर्जन की इजाजत नहीं देने का आदेश दिया था।
इस साल के गणेशोत्सव को ईको-प्रâेंडली बनाने की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। केवल पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां बनाने वाले मूर्ति निर्माताओं को ही इस वर्ष कारखाना खोलने की अनुमति दी जाएगी। साथ ही मूर्ति निर्माताओं को इस वर्ष भी नि:शुल्क शाडू मिट्टी दी जाएगी। इस अनुमति के लिए सांकेतिक शर्त यह रखी गई है कि मूर्ति इतनी ऊंचाई की बनाई जाए कि उत्सव के दौरान मूर्ति के आगमन और विसर्जन में सुविधा हो।
हाई कोर्ट और मनपा के फैसले से गणेशोत्सव मंडल भी असमंजस में हैं, लेकिन सबसे पहली मार पीओपी की मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों पर पड़ेगी। मूर्तिकारों ने पीओपी पर प्रतिबंध के फैसले के खिलाफ अपना पक्ष रखने के लिए एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। मूर्तिकार अनिल बिंग ने कहा कि पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय विसर्जन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।
मूर्तियों की दोगुनी हो जाएगी कीमत
पीओपी मूर्तियां अपेक्षाकृत सस्ती हैं। हालांकि, शाडू मिट्टी की कीमत अधिक होने के कारण मूर्तियों की कीमत दोगुना तक बढ़ जाएगी, पीओपी के मूर्ति निर्माता भी इस मुद्दे को उठाते हैं। कुछ लोगों ने यह राय भी व्यक्त की है कि पीओपी का विकल्प देने के लिए नियुक्त विशेषज्ञ समिति को अपनी रिपोर्ट में कोई कारगर सुझाव देना चाहिए।

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