सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अब लाडली बहन योजना का लाभ उठाने वाली महिलाओं के आवेदनों की जांच की जा रही है। इसी के चलते राज्य के तीन लाडले भाई मिलकर लाडली बहनों को झटके पर झटका दे रहे हैं। राज्य में अब तक नौ लाख लाडली बहनों को अपात्र कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, महायुति सरकार ने पात्रता के लिए कड़क नियम लागू किए हैं। इससे आनेवाले दिनों में प्रदेश में ४० लाख महिलाएं योजना के लिए अपात्र होंगी।
उल्लेखनीय है कि पिछली राज्य सरकार ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सामने आए विधानसभा चुनाव के मद्दनेजर मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने १,५०० रुपए की सहायता राशि देने की योजना बनाई गई। विधानसभा चुनाव में यह योजना महायुति के लिए गेमचेंजर साबित हुई। लगभग २ करोड़ ३१ लाख ८६० महिलाएं इस योजना के लिए पात्र पाई गर्इं लेकिन अब महायुति के सत्ता में आने के बाद पात्र महिलाओं को जांच के नाम पर योजना से बाहर करना शुरू कर दिया गया है, क्योंकि इस योजना से सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
सरकार ने लागू किए नए मानदंड
महायति सरकार ने लाडली बहन योजना के लिए नए मानदंड लागू किए हैं। इसके तहत मानदंडों को पूरा करनेवाली पात्र महिलाओं को ही योजना का लाभ मिले, इसके लिए सरकार द्वारा अब कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। लाडली बहन योजना की लाभार्थी महिलाओं को हर साल जून महीने में बैंक में ई-केवाईसी कराकर जीवित होने का प्रमाण जमा करना होगा। हर साल एक जून से एक जुलाई के बीच ई-केवाईसी करानी होगी। इसके अलावा जो महिलाएं विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाती हैं और जिनकी आय ढाई लाख से अधिक है, उन्हें इस योजना के लिए अपात्र घोषित किया जाएगा। लाभार्थी महिलाओं की आय ढाई लाख से अधिक है या नहीं, यह जांचने के लिए राज्य सरकार द्वारा आयकर विभाग की मदद ली जाएगी।