-जीवन के ताप से निकलता है लेखक-कांकरिया
‘ कथा मुंबई’ में 2 दिन के 4 सत्रों में 44 कथाकारों ने पढ़ीं कहानियां
सामना संवाददाता / मुंबई
‘सरोकार घर से शुरू होते हैं और यही सरोकार लेखन की केंद्रीय धारा हैं। आज की स्त्री सिमटी नहीं है, उसने क्षितिज को विस्तार दिया है।’ यह विचार प्रख्यात कथाकार सुधा अरोड़ा ने दो दिन के ‘कथा मुंबई 2025’ के अंतिम दिन के समापन सत्र में व्यक्त किए। वे इस सत्र की अध्यक्ष थीं।
मुख्य अतिथि मधु कांकरिया ने कहा कि जीवन के ताप से निकलता है लेखक। आज झूठ को सच दिखाया जा रहा है। आज समय का संकट है। इसी संकट पर हमें कलम चलानी चाहिए।
संचालन कर रहे कथाकर, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि हम उत्साह से लबालब हैं। यह हमारे सपने का सच है, जो कई साल से मेरी आंखों मे पल रहा था। मुंबई में पहली बार हुए इस आयोजन में दो दिनों में कुल चार सत्रों में 44 कहानीकारों ने कथा पाठ किया, जिनमें 18 महिला कथाकार थीं। हम इतने उत्साहित हैं कि इसे हर साल करने का मन बना रहे हैं। दो दिन के इस आयोजन का उद्घाटन प्रख्यात कथाकार जितेंद्र भाटिया ने व आयोजन के प्रयोजन पर हरीश पाठक ने अपने विचार रखे।
अंतिम दिन के पहले सत्र की अध्यक्षता केवल सूद ने की। मुख्य अतिथि कमलेश बक्शी थीं।
‘शोधावरी,’ ‘स्वर संगम फाउंडेशन’ व ‘कथा’ द्वारा आयोजित इस आयोजन को साहित्यानुरागी महेश अग्रवाल (सब्जेक्ट मंथन) का सहयोग मिला। आयोजन समिति के हूबनाथ पांडेय, रमन मिश्र, राकेश शर्मा व प्रशांत जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।