राजेश सरकार / प्रयागराज
भागीरथ की गंगा के पवित्र जल को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मुश्किलों में घिरी महसूस कर रही है। सरकार को गंगा की पवित्रता और शुद्धता की परख के लिए वैज्ञानिक का सहारा लेना पड़ रहा है। यह स्थिति योगी सरकार की मजबूरी को दर्शती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट, जिसमें प्रयागराज महाकुंभ के दौरान 73 जगह से एकत्र किए गए गंगा और यमुना के जल का परीक्षण किए जाने पर प्रदूषण का दावा किया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट का खुलासा किया तो विपक्ष ने योगी सरकार को आड़े हाथों ले लिया। विपक्ष के लगातार हमले से परेशान योगी सरकार ने गंगाजल की शुद्धता साबित करने के लिए पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर का सहारा लिया। डॉ. अजय सोनकर के माध्यम से सरकार ने विपक्ष को आईना दिखाने की कोशिश की। गंगा की पवित्रता और शुद्धता को लेकर सरकार ने वैज्ञानिक के माध्यम से गंगाजल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उपस्थिति के दावों पर बड़ा खुलासा किया है। पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में गंगा जल को लेकर कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले हैं। इसके अलावा लाखों श्रद्धालुओं के सामने वैज्ञानिक ने गंगा जल पीकर भी दिखाया। यह भी साबित किया कि इसमें ऐसा कोई हानिकारक बैक्टीरिया नहीं है, क्योंकि गंगा जल की विशेषता और मौजूदा तापमान इसे बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुपयुक्त बनाते हैं। डॉक्टर अजय ने बताया है कि फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पानी के 20 डिग्री सेल्सियस तापमान से कम होने पर पूरी तरह से निष्क्रिय रहता है, जबकि पूरे महाकुंभ के दौरान गंगा जल का तामपान 10 से 15 डिग्री तक ही रहा है। संगम के विभिन्न घाटों पर वैज्ञानिक ने श्रद्धालुओं के बीच गंगा जल का तामपान भी जांचा। इसी के साथ यह जानकारी दी कि 20 डिग्री सेल्सियस तापमान से कम होने पर यह बैक्टीरिया खुद को बढ़ा ही नहीं सकता है।
गंगा जल का तापमान बैक्टीरिया के लिए प्रतिकूल
पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर के अनुसार, फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 35 से 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में पनपता है, जबकि महाकुंभ के दौरान गंगा जल का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहा है, जो इसे निष्क्रिय बनाए रखता है।
20 डिग्री से कम तापमान में नहीं होती वृद्धि
यह बैक्टीरिया 20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान में खुद को मल्टीप्लाई नहीं कर सकता है। महाकुंभ के दौरान संगम जल का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम दर्ज किया गया था। ऐसे में इसके सक्रिय होने की कोई संभावना ही नहीं है।
गंगा की शुद्धता पर कोई संदेह नहीं
गंगा जल अपने विशेष गुणों के कारण सदियों से शुद्ध माना जाता रहा है। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि मौजूदा ठंडे जल में फीकल कोलीफॉर्म जीवित रहना संभव नहीं है। डॉ. अजय सोनकर ने कहा है कि गंगा जल स्नान व आचमन के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। इसके अलावा यह गंगा जल हमारे शरीर के विभिन्न रोगाणुओं को ठीक करने में भी मदद करता है।