डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए दुविधा खड़ी कर दी है। इसीलिए मोदी मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम में धीरेंद्र शास्त्री के मठ पर पहुंचे। यह मठ हर तरह से विवादास्पद है। भाजपा ‘वोटिंग टर्नआउट’ बढ़ाने के लिए ऐसे बाबा-संत और महाराजों का पुरजोर सहारा लेती है। इनमें बलात्कार, हत्या आदि के आरोप में सजा काट रहे बाबा राम रहीम भी शामिल हैं। आसाराम बापू फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। किसी चुनाव में ‘वोटिंग टर्नआउट’ बढ़ाने के लिए भाजपा उनकी मदद भी लेगी। अगर कुछ कमी है तो महाकुंभ में चर्चित रहने वाले आईआईटी बाबा हैं ही। असली सवाल अमेरिकन प्रेसिडेंट ट्रंप के प्रिय मित्र प्रधानमंत्री मोदी को ‘वोटिंग टर्नआउट’ बढ़ाने के लिए २१ मिलियन डॉलर दिए जाने का है। यह सारा पैसा मोदी और उनकी पार्टी ने अमेरिका से लिया था, लेकिन इसका इस्तेमाल वास्तव में किस परियोजना में किया गया, यह पता नहीं है। प्रेसिडेंट ट्रंप खुद कह रहे हैं कि मोदी ने भारतीय चुनाव जीतने के लिए विदेशी पैसे का इस्तेमाल किया। अमेरिका ने यह पैसा भारतीय चुनाव में मतदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए दिया था, लेकिन भाजपा ने उस पैसे का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। भाजपा ने अपने वोट बढ़ाने के लिए धर्म, बाबा लोग, मतदाता सूची घोटालों का इस्तेमाल किया और मतदाताओं को पैसे बांटे। उसके लिए इस अमेरिकी ‘पैसों’ का इस्तेमाल किया गया। हरियाणा में छह लाख वोट बढ़े। जिसके चलते कांग्रेस हार गई। महाराष्ट्र में लोकसभा से विधानसभा के बीच पांच महीने में
करीब ४० लाख वोट
रहस्यमय तरीके से बढ़े और महाविकास आघाड़ी की हार हुई। ये ४० लाख वोट भाजपा को मिले, इसके लिए अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल किया गया। पैसे से नहीं, बल्कि डॉलर से वोट खरीदे गए। डॉलर के मुकाबले रुपए का अवमूल्यन हुआ इसलिए ‘डॉलर’ को सीधे चुनावों में घुसाया गया और चुनाव जीते गए। यह चुनाव में हुआ भ्रष्टाचार है। प्रेसिडेंट ट्रंप ने साफ कहा, ‘प्रिय मित्र मोदी को २१ मिलियन डॉलर दिए’। इस पर मोदी और उनके अंधभक्त कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले पर बयान जारी करना चाहिए। ट्रंप को मानहानि का नोटिस भेजना चाहिए।’ डॉ. स्वामी का कहना सत्य है। अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रंप ने मोदी पर ‘लेन-देन’ का धब्बा लगाया है, क्या भारत को यह सहन करना चाहिए? भारत में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका की आर्थिक मदद की जरूरत क्यों होनी चाहिए और इस मदद से सिर्फ भाजपा के ही वोट वैâसे बढ़ते हैं? इसका खुलासा भारत निर्वाचन आयोग, गृहमंत्री आदि को करना चाहिए। प्रेसिडेंट ट्रंप ने भारत को पैसे देने की बात बार-बार कही है। उन्होंने सवाल किया, ‘भारत को चुनाव के लिए २१ मिलियन डॉलर क्यों दिया जा रहा है? हम भारत को चुनाव के लिए पैसे देते हैं। उन्हें पैसे की जरूरत नहीं है।’ प्रेसिडेंट ट्रंप ने भारत को ईवीएम की बजाय मतपत्रों का उपयोग करने की सलाह दी है और उससे मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है ऐसा ट्रंप, मस्क और अन्य लोगों का कहना है। भाजपा इस काम के लिए पैसे लेती है और उसका इस्तेमाल
वोटरों को खरीदने के लिए
करती है अब यह बात सामने आ गई है। अगर ये मामला किसी दूसरे देश में सामने आता तो उस देश के प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता। यहां तक कि विदेशी पैसे से चुनी गई सरकार को भी जनता घर बैठा देती, लेकिन भारत में लोकतंत्र बागेश्वर बाबा के मठ में जाकर चिंतन कर रहा है। वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए ‘बाबा’ लोगों को भाजपा ने प्रचार का काम दिया और इसके लिए अमेरिकी पैसे का इस्तेमाल किया। मतदान के अधिकार का प्रयोग करें ऐसे विज्ञापन दिए गए। यानी इसके लिए अमेरिका का पैसा काम आया। भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए मोदी प्रेसिडेंट ट्रंप के पैसे का उपयोग कर रहे हैं। अमेरिका द्वारा उनके देश से अवैध भारतीयों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजने और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इसकी आलोचना न करने का रहस्य अमेरिका द्वारा भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए दिए गए २१ मिलियन अमेरिकी डॉलर में छिपा है। इन सब मामलों के चलते भाजपा का मुखौटा उतर रहा है। आखिर अमेरिका से आया पैसा कहां गया? इस जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाना चाहिए। लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र तथा हरियाणा के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए विदेशी धन का खुलकर इस्तेमाल किया गया। भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विदेशी धन आया। भाजपा ने इस फंड का इस्तेमाल अपने लिए वोटर्स खरीदने के लिए किया यह भारतीय लोकतंत्र को कलंकित करने वाला कृत्य है। उसी पैसे का इस्तेमाल महाराष्ट्र में विधायकों और सांसदों को खरीदने के लिए किया गया हो, क्या कह सकते हैं? प्रेसिडेंट ट्रंप ने मस्ती और मजाक-मजाक में सच कह दिया। प्रेसिडेंट ट्रंप, थैंक यू!