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दादा…`अपनों पर भरोसा नाय का?’..अजीत पवार ने मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों को नजर रखने की दी हिदायत

सामना संवाददाता / मुंबई

सरपंच हत्या मामले में करीबी वाल्मीक कराड के शामिल होने के कारण धनंजय मुंडे को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद देवगिरी बंगले पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने गुट के मंत्रियों, पूर्व व वर्तमान सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों की बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि अपने साथ रहने वालों पर नजर रखें। वे क्या काम कर रहे हैं, इस पर ध्यान दें। उनके चरित्र की जांच करें और गलत काम करने वालों को दूर रखें। अब सवाल ये उठता है कि क्या अजीत दादा को `अपनों पर भरोसा नाय का?’ यानी उनको लोगों पर भरोसा नहीं है।
अजीत पवार ने महायुति के विधायकों के साथ समन्वय बनाकर स्थानीय स्तर पर काम करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि महामंडल से लेकर विशेष कार्यकारी अधिकारियों तक हर स्तर पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अवसर मिलेगा। दो दिन पहले हुई इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे भी मौजूद थे। अजीत पवार ने कहा कि विधानमंडल की प्रमुख समितियों में ५०-२५-२५ का फॉर्मूला रहेगा। भाजप को ५० फीसदी, शिंदे और दादा गुट को २५-२५ फीसदी प्रतिनिधित्व मिलेगा।
देरी से नहीं होंगी ये नियुक्तियां
मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को सरकारी समितियों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का ़पैâसला किया है। जल्द ही महामंडल से लेकर विशेष कार्यकारी अधिकारी पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। मित्र पक्ष के विधायक वाले क्षेत्रों में उन्हें ५० फीसदी और अन्य दोनों पक्षों को २५-२५ फीसदी पद दिए जाएंगे। पवार ने कहा कि इन नियुक्तियों में देरी नहीं होगी।
विद्रोहियों के साथ बनाएं समन्वय
अजीत पवार ने अगले कुछ दिनों में बड़े पैमाने पर सदस्य पंजीकरण के लिए सभी पदाधिकारियों और पूर्व व वर्तमान विधायकों को प्रयास करने की सलाह दी। महायुति से अन्य पक्षों में चले गए विद्रोहियों को वापस लाया जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि स्थानीय स्तर पर विवाद के कारण काम बाधित नहीं होना चाहिए। पदाधिकारियों ने निजी तौर पर यह जानकारी साझा की।

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