सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई का कर्णाक ब्रिज जिसे २०१४ में असुरक्षित घोषित किया गया था, उसके पुनर्निर्माण में लगातार देरी होती रही। अब २०२५ में यह पुल कुछ महीनों में जनता के लिए खोलने का दावा किया जा रहा है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार, २०१७ में वर्कऑर्डर जारी किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य २०१८ में शुरू हुआ। तब तक लागत भी काफी बढ़ चुकी थी। इस दौरान अंधेरी के गोखले ब्रिज हादसे के बाद आईआईटी मुंबई ने मुंबई के पुलों का ऑडिट किया, जिससे कर्णाक ब्रिज पर फिर से ध्यान दिया गया, लेकिन प्रशासनिक उलझनों के चलते यह मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।
अंतत: २०२२ में इस पुल को गिराने की प्रक्रिया शुरू हुई। नवंबर २०२२ में १४६ साल पुराने इस पुल को २७ घंटे तक रेल यातायात रोककर तोड़ा गया। इसके लिए ५० गैस कटर, ४ हाई-वैâपेसिटी क्रेन और ५०० से ज्यादा मजदूरों की टीम लगाई गई। हालांकि, १९ महीने में निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जमीन से जुड़े विवादों और विभिन्न बाधाओं के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।
मनपा ने दावा किया था कि पुल मई २०२५ तक पूरा हो जाएगा, लेकिन इस दौरान रेलवे से जरूरी मंजूरी लेने, यातायात परमिशन और जमीन पर कब्जा हटाने में काफी समय लग गया। अक्टूबर २०२४ में रेलवे से जरूरी अनुमति मिलने के बाद ५५० टन का विशाल गर्डर लगाने का काम शुरू हुआ। जनवरी २०२५ में जब ४०० टन का दूसरा गर्डर लगाया जा रहा था, तब एक बड़ा हादसा होते-होते बचा। यह क्रेन पर लटका रह गया, जिससे काम ४८ घंटे तक प्रभावित रहा और एक मजदूर घायल भी हो गया।
अब मुख्यमंत्री के दबाव के बाद मनपा दावा कर रही है कि ब्रिज का काम समय पर पूरा होगा और यह जून २०२५ तक जनता के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, मुंबईकरों को अब भी इस वादे पर भरोसा नहीं हो रहा है, क्योंकि इस ब्रिज का इंतजार पिछले १० सालों से चल रहा है।