शाहरुख खान के साथ थम्सअप के विज्ञापन में नजर आए शशि कपूर के पोते जहान कपूर अकसर ‘पृथ्वी थिएटर’ में हिंदी और अंग्रेजी नाटकों में जानदार एक्टिंग करते नजर आते हैं। हाल ही में नेटफ्लिक्स पर आए वेब शो ‘ब्लैक
वॉरंट’ में जहान तिहाड़ जेल के जेलर सुनील कुमार गुप्ता के किरदार में नजर आ रहे हैं। पेश है, जहान कपूर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
एक्टिंग में आना कैसे हुआ?
एक्टिंग में आने की वजह बताने से पहले मैं बता दूं कि मेरी मां शीना सिप्पी एक जानी-मानी फोटोग्राफर हैं और पिता कुणाल कपूर एक्टर के साथ ही पृथ्वी थिएटर के एडमिनिस्ट्रेटर हैं। मेरे करियर को लेकर बहुत ज्यादा प्लानिंग नहीं हुई। दसवीं की परीक्षाओं के बाद मैंने ‘पृथ्वी थिएटर’ में काम करना शुरू किया और अपनी बुआ संजना कपूर और डैड की देखरेख में काफी काम सीखा। पृथ्वी थिएटर के नाटकों के दौरान निर्देशक हंसल मेहता ने मुझे अपनी फिल्म ‘फराज’ में मौका दिया।
‘ब्लैक वॉरंट’ में आपका सिलेक्शन कैसे हुआ?
‘ब्लैक वॉरंट’ के ऑडिशन के दो-तीन महीनों बाद जब मुझे विक्रमादित्य मोटवानी के ऑफिस से कॉल आया तो मैं मकरंद देशपांडे के निर्देशन में नाटक ‘सियाचिन’ में मुख्य भूमिका निभा रहा था। कुछ समय बाद मैं उनसे मिलने गया और मुझे जेलर का किरदार मिल गया।
कपूर खानदान से होने के बावजूद आपको लॉन्च न करने की क्या वजह रही?
मेरे अभिनय से जुड़ने की कोई सुर्खियां क्यों नहीं बनीं, इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है। मुझे अभिनय में जाना है, यह कभी तय नहीं था। मैंने कभी नहीं सोचा कि हमारे कपूर परिवार की तरह मुझे एक्टिंग में जाना है। जब एक्टिंग में आने की कोई रूपरेखा ही नहीं बनी तो कोई मुझे क्यों लॉन्च करेगा?
जेलर का किरदार निभाने के लिए आपने किस तरह की तैयारी की?
वेब शो ‘ब्लैक वारंट’ किताब ‘कन्फेशंस ऑफ ए तिहार’ पर आधारित है, जिसे सुनील गुप्ता और सुनेत्रा चौधरी ने लिखा है। इस किताब को मैंने बारीकी से पढ़ा। ऑडिशन देने के बाद जब मेरा सिलेक्शन हुआ तो काफी डिस्कशन हुआ। जेलर सुनील कुमार गुप्ता के मानसिक स्टेजेस को दर्शाना काफी मुश्किल था, जिसे मैंने किताब पढ़ने के बाद जान लिया था।
सुनील गुप्ता और जहान कपूर के बीच क्या कोई रेलिटेबिलिटी महसूस हुई?
मेरे लिए यह किरदार बेहद चैलेंजिंग था। सुनील कुमार गुप्ता काफी पढ़े-लिखे जेलर थे। मेरा पारिवारिक बैकग्राउंड उनसे पूरी तरह अलग है। नौकरी लगने के बाद सुनील जब जेल में अपनी ड्यूटी पर आते हैं और एक संस्कारी युवक से वैâसे गाली-गलौज करनेवाले जेलर बन जाते हैं, वैâदियों की फांसी देखते-देखते उनका दिल मृत हो जाता है, यह एक ऐसा सफर था जिसे आसानी से समझना मुश्किल है। मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि सुनील की तरह मैं भी शांतिप्रिय और पॉजिटिव इंसान हूं।
कपूर परिवार और एक्टिंग सिक्के के दो पहलू हैं। क्या आपके परिवार में किसी ने आपको एक्टिंग में मदद की?
मेरी कजन सिस्टर बेबो (करीना) ने ‘ब्लैक वारंट’ के लिए मुझे सोशल मीडिया पर गुड लक दिया था और रणबीर मेरे लिए हमेशा ओपन रहता है। जब भी मुझे एक्टिंग में मार्गदर्शन चाहिए, रणबीर से मुझे तुरंत मदद मिल जाती है और वो मुझे खुद मिलने आ जाता है। वर्ष में हम तीन-चार बार मिलते हैं, लेकिन इतने बड़े परिवार का एक दिन मिलना भी कभी मुश्किल से होता है।
कपूर परिवार से होने का आप पर कितना प्रेशर है?
शशि कपूर, राज कपूर, शम्मी कपूर का पोता हूं और इंडस्ट्री में कपूर परिवार के १०० वर्ष पूरे हो चुके हैं, जाहिर है मुझसे भी दर्शकों को कई उम्मीदें होंगी। मैं रणबीर, करीना और करिश्मा जैसा बहुत ग्रेट हूं, लेकिन इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता कि आगे बढ़ने के लिए इंसान के पास टैलेंट के साथ किस्मत का होना भी जरूरी है और हर किसी की किस्मत अलग होती है। प्रतिभा है पर मौके न मिले तो प्रतिभा वैâसे उजागर होगी? मैं कपूर हूं इसलिए घर बैठकर काम का इंतजार करने की बजाय खुद कोशिशें करते हुए ऑडिशन देता रहूंगा। वक्त के साथ मेरी पहचान आगे बढ़ेगी।