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यूपी में जंगलराज…पत्रकारों पर खूनी गाज!..सीतापुर में दिनदहाड़े हाइवे पर पत्रकार की हत्या…घटना से पहले आया था किसका फोन?

सामना संवाददाता / सीतापुर

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था का दंभ भरने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं। ताजा घटना में इमलिया सुल्तानपुर के हाईवे के हेमपुर पुल पर कल दोपहर बाद दिनदहाड़े सरेराह पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बताया जा रहा है कि बाइक से जा रहे पत्रकार को रास्ते में रोककर गोलियां मारी गई हैं।
पुलिस महानिरीक्षक प्रशांत कुमार द्वितीय ने देर शाम घटनास्थल पर पहुंचकर जांच की। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय समेत समाजवादी पार्टी ने घटना को लेकर एक्स पर शोक जताया है। सरकार से हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की है। महोली कस्बा के मुहल्ला विकास नगर के राघवेंद्र वाजपेयी पुत्र महेंद्र वाजपेयी एक दैनिक अखबार के तहसील संवादसूत्र के रूप में कार्यरत थे। कल दोपहर तीन बजे राघवेंद्र बाइक से सीतापुर की ओर जा रहे थे। हाईवे पर इमलिया सुल्तानपुर के हेमपुर ओवरब्रिज पर बदमाशों ने राघवेंद्र का घेराव कर लिया। बताया जाता है कि राघवेंद्र ने बचाव के लिए भागने का प्रयास किया, जिस पर बदमाशों ने पीठ पर गोली मार दी। राघवेंद्र लहूलुहान होकर सड़क पर गिर गए। इसके बाद बदमाशों ने सिर में सटाकर गोली मारी। नगर क्षेत्राधिकारी अमन सिंह के मुताबिक सिर में सटाकर मारी गई गोली ही पार होकर बांई कोहनी के पास लगी है। ३१५ बोर की गोली मारने की आशंका जताई गई है।
पेशेवर तरीके से की गई हत्या
राघवेंद्र की हत्या सुनियोजित और पेशेवर तरीके से की गई। जिस स्थान पर घटना हुई है, वहां सीसी वैâमरे नहीं लगे हैं। चर्चा है कि बदमाश कस्बा से ही राघवेंद्र का पीछा कर रहे थे। उरदौली के बाजपेयी मिष्ठान भंडार पर लगे सीसी वैâमरा में राघवेंद्र की बाइक के पीछे मुंह बांधे बाइक सवार दो युवक और उनके पीछे एक काले रंग की थार कार जाती दिख रही है।
आखिर किसके फोन पर दौड़े राघवेंद्र?
चर्चा है कि राघवेंद्र के मोबाइल पर घटना के कुछ देर पहले किसी का फोन आया था। इसके बाद राघवेंद्र बहुत ही जल्दबाजी में बाइक लेकर घर से निकल लिए थे। पुलिस ने राघवेंद्र का मोबाइल लेकर छानबीन शुरू कर दी है।
धान खरीद में उजागर की थी गड़बड़ी
राघवेंद्र ने धान खरीद में गड़बड़ी को लेकर पिछले दिनों कई खबरें प्रकाशित की थी। जिसकी जांच चल रही थी। जांच में गड़बड़ी की भी पुष्टि हुई थी। इसके अलावा जमीन खरीद में स्टांप ड्यूटी की चोरी को उजागर किया था। घटना के पीछे इन पहलुओं पर भी चर्चाएं आम हैं।
योगी के शासनकाल में १२ पत्रकारों की हत्याएं, १३८ पर हमले
२०१७ में यूपी में योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने से लेकर इस रिपोर्ट के प्रकाशन तक राज्‍य में कुल १२ पत्रकारों की हत्‍या हुई है। सबसे ज्‍यादा सात पत्रकार २०२० में मारे गए। २०१८ और २०१९ में एक भी पत्रकार की हत्‍या नहीं हुई। जिस साल राज्‍य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, २०१७ में दो पत्रकार नितिन गुप्‍ता और राजेश मिश्रा मारे गए।

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