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यूसीसी और लव जिहाद विरोधी कानून लाने की तैयारी!..अधिकारियों का जारी है अध्ययन…बजट सत्र में पेश होने की संभावना कम

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और लव जिहाद विरोधी कानून के लिए इंतजार करना होगा। गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि चूंकि राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में अध्ययन कर रहे हैं, इसलिए बजट सत्र में इन कानूनों के लिए विधेयक पेश करने की संभावना कम है। संविधान के अनुच्छेद ४४ में कहा गया है कि राज्यों को समान नागरिक कानून लागू करना चाहिए।
वर्तमान में समान नागरिक संहिता गोवा और उत्तराखंड में लागू है और गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम राज्यों ने इस कानून को लागू करने के लिए उच्च स्तरीय समितियां नियुक्त की हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस कानून को जारी करने के बाद इसका कड़ा विरोध हुआ और सुझाव दिया गया कि राज्यों को इसके लिए पहल करनी चाहिए। भाजपा शासित राज्यों ने समान नागरिक संहिता लागू करने की पहल की है क्योंकि यह भाजपा की भूमिका है।
राज्य में महायुति सरकार को सत्ता में आए तीन-चार महीने हो गए हैं और इन कानूनों के बारे में सभी सामाजिक समूहों के साथ गहन अध्ययन और चर्चा के बाद ही विधेयक को अंतिम रूप दिया जाएगा। चूंकि इसमें कुछ समय लगेगा, इसलिए उच्च पदस्थ अधिकारियों ने बताया कि इस सत्र में कोई विधेयक पेश होने की संभावना कम है।
अल्पसंख्यक समुदायों का विरोध
उत्तराखंड ने २०२४ में यह कानून बनाया और अमेरिका, इंडोनेशिया, मिस्र, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भी ऐसा ही नागरिक कानून लागू है, लेकिन देश में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा समान नागरिक अधिनियम का विरोध किया गया है, उनका आरोप है कि यह धार्मिक और व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप करता है।

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