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महायुति सरकार में दुष्कर्म पीड़ित महिलाएं परेशान…८५ हजार महिलाओं को न्याय का इंतजार!..सुनवाई के लिए सिर्फ ३ विशेष न्यायालय

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य सरकार सहित पूरे देश में गत शनिवार को विश्व महिला दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित अन्य नेताओं ने महिलाओं के विकास को लेकर तरह-तरह के वादे किए। जबकि महिलाओं के संदर्भ में हकीकत यह है कि राज्य में अत्याचार से पीड़ित ८५ हजार महिलाएं न्याय पाने का इंतजार कर रही हैं। यानी विभिन्न अदालतों में महिलाओं के अत्याचार के ८५ हजार ८१८ मामले प्रलंबित हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इन मामलों की सुनवाई के लिए सिर्फ तीन विशेष अदालतें है।
राज्य में ८५ हजार ८१८ महिलाओं से दुष्कर्म के मामले लंबित हैं। इनमें से २१ हजार ७२३ मामले सेशन कोर्ट में और ६४ हजार ९५ मामले मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित हैं। महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिए राज्य में केवल ३ विशेष अदालतें हैं। इस कोर्ट में १०८ रिक्तियां हैं। इन मामलों की संख्या अधिक होने के कारण इन मामलों की सुनवाई अन्य अदालतों में की जाती है। जिस तरह इस कोर्ट में अन्य मामलों की सुनवाई हो रही है, महिला अत्याचार की सुनवाई समय पर होती नहीं दिख रही है।
आरटीआई से मांगी थी जानकारी
पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता विहार दुर्वे ने सूचना के अधिकार के तहत इस बारे में जानकारी मांगी थी। सूचना के अधिकार से पता चला कि राज्य सरकार ने इस कोर्ट में १०८ सीटें भरने के आदेश दिया थे। दुर्वे ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में केवल तीन विशेष अदालतें सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में चल रही हैं।

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