सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई को न्यूयार्क के ‘सेंट्रल पार्क’ की तर्ज पर एक भव्य हरा-भरा पार्क मिलने की उम्मीद है, लेकिन मनपा की सुस्त कार्यशैली और बार-बार बदलती योजनाएं इस प्रोजेक्ट को संदेह के घेरे में डाल रही हैं। महालक्ष्मी रेसकोर्स और कोस्टल रोड के खुले स्थानों को जोड़ने वाले पैदल यात्री कनेक्टर को लेकर अभी तक स्पष्टता नहीं है। पहले अंडरपास बनाने की योजना थी, लेकिन अब स्काईवॉक और फुट ओवरब्रिज (एफओबी) जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
योजना में देरी और अस्पष्ट रणनीति
एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च २०२४ में सरकार ने मनपा को महालक्ष्मी रेसकोर्स की १२० एकड़ जमीन सौंपने को मंजूरी दी थी, लेकिन एक साल बाद भी टेंडर तक की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। मनपा ने अभी तक सिर्फ कंसल्टेंट नियुक्त किया है, जो कनेक्टिविटी के विकल्पों पर रिपोर्ट तैयार कर रहा है। रिपोर्ट मार्च २०२५ के मध्य तक आने की उम्मीद है, लेकिन इसके बाद भी निर्माण कार्य शुरू होने में लंबा वक्त लग सकता है।
क्या समय पर पूरा होगा प्रोजेक्ट?
मनपा पहले भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणा कर चुकी है, लेकिन उनमें से कई या तो अटके रह गए या जरूरत से ज्यादा समय ले लिए। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मुंबई सेंट्रल पब्लिक पार्क हकीकत बनेगा या यह भी सिर्फ कागजी योजना ही बनकर रह जाएगी?
फंडिंग और पर्यावरणीय चिंताएं
मनपा ने ३०० एकड़ के इस पार्क को विकसित करने के लिए निजी कंपनियों और एनजीओ से मदद लेने के लिए ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ (ईओआई) जारी किया है, लेकिन अभी तक ठोस वित्तीय योजना सामने नहीं आई है। इसके अलावा, पर्यावरणविदों को भी इस परियोजना को लेकर चिंता है। मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के दौरान सैकड़ों पेड़ काटे गए थे और अब यह देखना होगा कि नए पार्क में पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जाएगा या नहीं।