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पूर्वांचल पॉलिटिक्स : क्या अब जीआईएस के सहारे चलेगी डबल इंजन की सरकार?

हिमांशु राज

कुंभ खत्म हुए कुछ दिन नहीं बीते कि कुंभ में हुई कमाई की चर्चाएं जोरों पर हैं। १,५०० करोड़ रुपए लगाकर ३ लाख करोड़ रुपए कमाने की बात मुख्यमंत्री योगी कई बार दोहरा चुके हैं। एक नाविक द्वारा कुंभ में ३० करोड़ की कमाई व उसके आपराधिक इतिहास के चर्चे और बहस के बीच प्रदेश को जीआईएस युक्त करने का दांव योगी सरकार ने खेला है। प्रदेश में लगातार हो रहे विकास कार्यों के साथ कुछ मूलभूत समस्याएं कई शहरों और ग्रामीण इलाकों में देखी जा रही हैं। बिना योजना के खेती की जमीन पर प्लाट काटना और अवैध कॉलोनियों का निर्माण, कब्जा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्याएं भी पैदा कर रहा है।
इन सब समस्याओं को देखते हुए उत्तर प्रदेश के शहरों को योगी आदित्यनाथ सरकार वैज्ञानिक डेटा-आधारित महायोजना से विकसित करने का प्लान बना रही है। ५९ शहरों में उन्नत तकनीक और हाईटेक सुविधाओं से शहरीकरण को सही दिशा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल, ३५ शहरों को इस योजना के तहत आधुनिकरीकरण के लिए मंजूरी दी जा चुकी है। सरकार का मानना है कि इससे शहरों का विकास तो होगा ही, रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। शहरों में वाहनों का दबाव, रिहायशी इलाके के लिए जरूरी सड़क, सीवर लाइन, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर कोई योजना नजर नहीं आती। इन्हीं सब परेशानियों से निजात पाने के लिए योगी सरकार ने महायोजना की शुरुआत की है, जिसे जीआईएस कहते हैं।
जीआईएस अर्थात ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम आधारित महायोजना एक ऐसी योजना है, जो भू-स्थानिक डेटा और तकनीक का उपयोग करके बड़े पैमाने पर विकास, नियोजन और प्रबंधन को संभव बनाती है। यह तकनीक विभिन्न क्षेत्रों जैसे शहरी नियोजन, पर्यावरण प्रबंधन, कृषि, परिवहन, आपदा प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जीआईएस आधारित महायोजना का उद्देश्य डेटा-संचालित निर्णय लेना और संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना है। सरकार द्वारा लागू की गई कई योजनाएं अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में अधिकारियों से काम लेना भी एक बड़ी चुनौती है। नेता व अधिकारी अभी तक सभी योजनाओं को जनता तक पहुंचा नहीं पाए पर कागज पर सभी योजनाएं सुचारू रूप से चल रही हैं।
जीआईएस आधारित महायोजना एक शक्तिशाली उपकरण है, जो विभिन्न क्षेत्रों में विकास और प्रबंधन को सुविधाजनक बनाता है। यह तकनीक डेटा-संचालित निर्णय लेने और संसाधनों के कुशल प्रबंधन में मदद करती है। प्रदेश में यदि सही तरीके से लागू किया जाए तो यह समाज और पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। हालांकि, प्रश्न ये है कि क्या योगी सरकार की इस पहल को उनके मंत्री, विधायक व अधिकारी समझने व स्वीकारने को तैयार होंगे?

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