हास्य कलाकार सुनील पाल की शक्ल देखते ही दर्शकों को हंसी आनी शुरू हो जाती है। फिर जब वे अपने आइटम शुरू करते हैं तो दर्शकों का लोटपोट होना लाजिमी है। उनका कैरेक्टर रतन नूरा उसमें चार चांद लगाता रहता है। होली के अवसर पर हाल ही में उनसे मुलाकात हुई तो जय सिंह ने उनकी ‘भावनाओं को समझते हुए’ उनसे बातचीत की। पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश –
कैसे हैं सुनील जी?
-मजाकिया अंदाज बरकरार रखते हुए जिंदा
आप इस साल किस तरह होली सेलिब्रेट करने वाले हैं और स्टैंडअप कॉमेडी का भविष्य कैसा दिख रहा है?
-हमारी कोशिश यही होती है कि हम लोगों के जीवन में प्रतिदिन खुशियों के रंग बिखेरें और इस वर्ष भी बस उसी तरह की खुशी बिखेरने के मूड में हूं। कलाकारों की भीड़ है, लेकिन सब काम के हैं।
कपिल शर्मा के शो में जो अश्लीलता और फूहड़ता है, उस पर कोई विशेष टिप्पणी?
-कपिल शर्मा शो जब शुरू हुआ था, उस समय काफी अच्छा था। अब वह शो दूषित हो चुका है। आजकल फूहड़ता और अश्लीलता ने इस शो को अब परिवार के साथ बैठकर देखने लायक नहीं छोड़ा है।
स्टैंडअप कॉमेडी आज लोकप्रियता के मुकाम पर है, लेकिन स्टैंडअप कॉमेडी में अश्लीलता और फूहड़ता भी आजकल बहुत देखने को मिल रहा है। आप इसको किस तरह मानते हैं, क्या ये सही है?
-ऐसे लोग मेरी नजर में किसी भी आतंकवादी से कम नहीं हैं, चाहे वह कोई भी हो।
रणवीर इलाहाबादिया ने कॉमेडी के नाम पर जो अश्लीलता की हद पार की, इस पर आप क्या कहेंगे?
-आतंकवादी है। जो कोई समाज को किसी भी माध्यम से नुकसान पहुंचाए, वो किसी आतंकवादी से कम नहीं। (हंसाने वाले चेहरे पर हल्की सी कठोरता लाते हुए सुनील पाल कहते हैं)
हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, लड़ेंगे नफरत के खिलाफ लड़ाई, इस होली में देंगे नफरत को विदाई।
सुनील जी, आप इतने बड़े हास्य सम्राट हैं, पर किसी हीरोइन के साथ आपको कभी होली खेलते नहीं देखा गया?
-(रतन नूरा स्टाइल में मुंह बनाते हुए) भाई क्यों पिटवाने पर तुले हो? क्यों चाहते हो कि इस साल मेरी रंग-बिरंगी होली खून की होली में बदल जाए। देखो भाई, आप जानते हो कि एक फेमस होली है लट्ठमार होली। अगर आपका सवाल मेरी बीवी ने सुन लिया तो मेरी यह रंग-बिरंगी होली महिला की पसंददीदा लट्ठमार होली में बदल जाएगी और मेरी रंग-बिरंगी होली खून की होली में बदल जाएगी, (कहते हुए सुनील पाल ने बगल के दरवाजे की ओर देखा और शांत हो गए)।
देश में कहां की होली मशहूर है और क्या आपने उसमें शामिल होकर कभी होली खेली?
-बिल्कुल खेली। देश में बृज की होली सबसे मशहूर है। रंग-बिरंगे फूलों वाली वह होली बहुत चर्चित है। मेरा भी मन होता है इसी तरह की होली खेलने का। मैं खेलता भी हूं। (फिर बिना मुस्कुराए कहा) मैं मुंबई के किसी भी ब्रिज पर चढ़ जाता हूं और होली खेलता हूं। मुझे लगता है, मैं बृज की होली खेल रहा हूं।
पिछले दिनों यूपी में एक शो के बहाने बुलाकर आपका अपहरण कर लिया गया। फिरौती मांगी गई। क्या था वो सब?
मैं अपने कलाकार भाइयों से इतना कहूंगा कि कलाकार जब शो करने जाएं तो कहां, कैसे, कौन करा रहा है? इसकी जानकारी रखें। आने-जाने का टिकट करा लें। अपने रिश्तेदार या परिवार को बता कर जाएं कि आप कहां जा रहे हैं। सरकार ऐसे लोगों के लिए कड़ा कानून बनाए ताकि उन्हें सख्त से सख्त सजा मिल सके।
आप अपने साथी कॉमेडियंस को क्या संदेश देना चाहते हैं?
-बस इतना ही कि लोगों को हंसाते रहें, सेवा करते रहें। सेवा इबादत है। हंसाना एक देसी दवा है और हमारे साथी कलाकर देशी डॉक्टर, जो लोगों को हंसाकर उनकी सेवा करते हैं।
बचपन की होली की कोई याद?
-है न, बिलकुल है। मैं चंद्रपुर के बल्लारपुर का रहने वाला हूं। मेरे गांव में घर में घुसकर होली खेलने का प्रावधान है। लोग मुझे होली का कलर लगाते थे। उस दिन हम मिठाई-गुझिया या खाना भी कलरफुल ही खाते थे। आप मानेंगे नहीं, शुुद्ध रूप से भारतीय होने के बाद भी जब होली का रंग लग जाता तो मैं १० दिनों तक दक्षिण अप्रâीका का निवासी लगता था।
होली को लेकर आप अपने चाहने वालों को क्या संदेश देना चाहेंगे!
-होली के दिन सारी फैमिली होली फैमिली हो जाए, नफरत की करे हॉलिडे। रंग-बिरंगे लागाओ लाल पीला गुलाल,
यही दुवा मांग रहा सुनील पाल।