मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : उम्मीदें दहन हुईं

तड़का : उम्मीदें दहन हुईं

कविता श्रीवास्तव

आज होलिका दहन है। बुराइयों के दहन और अच्छाइयों के विजय का प्रतीक पर्व है यह। पौराणिक कथा है कि असुर राजा हिरणकश्यप को उनके बेटे प्रहलाद का भगवान विष्णु का भक्त होना पसंद नहीं था। प्रहलाद अपने पिता की नहीं सुनते थे। हिरणकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल पाएगी। इसीलिए हिरणकश्यप ने अपनी बहन को प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा, ताकि भक्त प्रहलाद भस्म हो जाएं, लेकिन भगवान की कृपा हुई। होलिका जल गई तथा विष्णु भक्त प्रहलाद बच गए। होलिका दहन के अगले दिन रंग-बिरंगे रंगो से होली खेलने का चलन है। यह त्योहार आपसी रिश्तों की बुराइयों, भेदभाव और गिले-शिकवे मिटाकर एकदूसरे में रंग जाने के उत्सव का उत्सव है। होली सनातन संस्कृति और देश की परंपरा में महत्वपूर्ण त्योहार है। आज होने वाले होलिका दहन के लिए लोग बड़े उमंग और जोश से हर जगह तैयारी कर रहे हैं। इसी बीच महाराष्ट्र की वर्तमान महायुति सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में अपना पहला बजट पेश किया। इस बजट से लोगों को बड़ी उम्मीद थी, क्योंकि चुनाव में अनेक लोक-लुभावना वादे करके महायुति की यह सरकार सत्ता में आई है। लेकिन इस बजट ने होली से ठीक पहले महाराष्ट्र की करोड़ों जनता की उम्मीदों का दहन कर दिया है। इस बजट में बहुचर्चित `लाडकी बहन योजना’ की राशि बढ़ाने में सरकार विफल रही। किसानों का लोन माफ करने पर भी कोई प्रावधान नहीं किया गया। ये दोनों वादे अब चुनावी लॉलीपॉप सिद्ध हो रहे हैं। वैसे पिछले कुछ वर्षों में देश में चुनावी लाभ के लिए रेवड़ियां बांटने का चलन खूब बढ़ा है। लेकिन सत्ता में आते ही अपने वादे से पीछे हटकर सरकार अब लोगों को मायूस कर रही है। `लाडकी बहन योजना’ का बोझ अब महाराष्ट्र सरकार को भारी पड़ रहा है। महाराष्ट्र ही नहीं देश के अनेक अनेक राज्यों में यही हालत है। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा शुरू की गई लोकप्रिय `शिव भोजन योजना’ भी बंद कर दी गई है। यह योजना तकरीबन २,००० केंद्रों के माध्यम से २ लाख से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही थी। विरोधी दलों के नेताओं ने इन मुद्दों को उठाया ही है, सरकार के मंत्रियों में शामिल छगन भुजबल ने भी `शिव भोजन योजना’ को बंद करने पर चिंता व्यक्त की है और अपनी सरकार के कान खींचे हैं। उल्लेखनीय की इस योजना के माध्यम से कोविड संकट के दौरान भी लाखों लोगों को मुफ्त भोजन मिल रहा था। समझा जाता है कि इसी योजना की राशि को सरकार ने `लाडकी बहन योजना’ की तरफ मोड़ दिया, लेकिन अब यह योजना भी संकट में है क्योंकि उसमें भी बड़े पैमाने पर छंटनी शुरू है। कर्ज के बोझ में डूबे किसान भी बजट से बहुत निराशा है। हम कह सकते हैं कि महाराष्ट्र के ताजा बजट ने होलिका दहन से पहले ही कई लोगों की उम्मीदों का दहन कर दिया है।

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