मुख्यपृष्ठटॉप समाचारबिन पानी कैसे खेलें होली? ...मुंबई में जलापूर्ति की आंख-मिचौली

बिन पानी कैसे खेलें होली? …मुंबई में जलापूर्ति की आंख-मिचौली

-सरकार को नहीं सुध, जनता परेशान

द्रुप्ति झा / मुंबई
होली का त्योहार आते ही लोगों में मस्ती छा जाती है। होली के रंगों में एक-दूसरे को सराबोर करने की होड़ मच जाती है। मगर यह क्या, इस बार मुंबई के कई इलाकों में पानी की भयंकर आंख-मिचौली चल रही है। जनता परेशान है, पर ‘ईडी’ सरकार को इसकी कोई सुध नहीं है। ऐसे में इन इलाकों के नागरिकों के सामने समस्या है कि बिन पानी होली कैसे खेलें?
इस संवाददाता ने जब ग्राउंड लेवल पर इसकी पड़ताल की तो जो जानकारी सामने आई, उसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। अंधेरी, मालाड, कांदिवली और बोरिवली के कई इलाकों में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं और प्रशासन के उदासीन रवैये से वे खासे नाराज हैं।

मुंबई के कई इलाकों में होली होगी बेरंग!
खाना बनाने के लिए भी पानी की है किल्लत

कई गली-कूची में नई पाइप लगाई गई है, लेकिन पानी का कोई अता-पता नहीं है।

होली का अवसर और मुंबई में पानी की किल्लत। इससे मुंबई के कई इलाकों में होली बेरंग होगी। पानी बिना वहां खाना बनाने में भी परेशानी है, ऐसे में होली खेलना उनके लिए संभव नहीं है।
मुंबई के अंधेरी, मालाड, बोरीवली, कांदिवली और नालासोपारा जैसे इलाके में पानी की काफी कमी है। इन इलाकों में पानी इतने कम दबाव से आता है कि किसी को मिलता है तो किसी को नहीं। आलम यह है कि किसी रात पानी नहीं मिलने से लोगों के घर में तो खाना भी नहीं बन पाता है। घर का काम तो सारा पानी से होता है। अब होली है ऐसे में लोगों को पीने तक का पानी सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है तो होली कैसे खेलेंगे?
सूखी होली खेलने पर भी नहाने के लिए तो पानी चाहिए। लोगों ने कई बार मनपा से गुहार लगाई है कि उनकी ये समस्या दूर करे, लेकिन मनपा इस समस्या के प्रति उदासीन है। मालाड में रह रहे राज पटेल ने बताया कि पानी की समस्या काफी समय से है। इस समस्या को जल्द से जल्द दूर करने का सिर्फ प्रशासन वादा करता है, लेकिन कब होगी यह पता नहीं। हम अपना त्योहार भी नहीं मना पाते। पानी की समस्या की वजह से हम होली भी नहीं खेल पाते।

पानी का दबाव काफी कम
अंधेरी-पूर्व की रहने वाली ज्योति ने बताया कि हम पहाड़ी इलाके में रहते हैं। वहां पानी नहीं चढ़ता। पानी का दबाव बहुत कम होता है। मोटर लगाने से हमें रोका जाता है। हमारे घर में बुजुर्ग हैं और घर पर मेरे नहीं रहने से उनके लिए पानी भरना मुश्किल होता है।

मजबूरी है यहां रहना
बोरीवली में रहने वाले अहमद पटेल ने बताया कि वे यह एरिया नहीं छोड़ सकते, क्योंकि उनका अपना घर है। मजबूरी है। हमारी पैâमिली बड़ी है। किसी दिन तो कोई नहाता भी नहीं, क्योंकि जब पीने के लिए पानी मिलना मुश्किल है तो नहाएंगे कहां से?

मनपा सुनती नहीं
कांदिवली में रहने वाले विष्णु ने बताया कि मनपा सुनती नहीं। हम बोल बोल कर थक चुके हैं। अब ये मुसीबत झेलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं।

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