फिरोज खान
धमाकों की हकीकत
१२ मार्च, १९९३ मुंबई में सबकुछ सामान्य था। दोपहर डेढ़ बजे अचानक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बेसमेंट में जोरदार धमाका हुआ। इसमें ५० लोगों की मौत हो जाती है। सायरन बजाती लाशों को भरकर एंबुलेंस अस्पतालों की तरफ दौड़ने लगी थीं। इसके बाद अगले २ घंटे १० मिनट में यानी ३.४० बजे तक पूरी मुंबई में एक-एक करके १३ सीरियल ब्लास्ट हुए। ये धमाके एयर इंडिया बिल्डिंग जवेरी बाजार, सेंचुरी बाजार, प्लाजा सिनेमा, माहिम कॉजवे, हॉटेल सी-रॉक आदि जगहों पर कराए गए। वैसे तो हमले में मृतकों की संख्या २५७ बताई गई थी और ७०० लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई थी। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मृतकों की संख्या ३०० के ऊपर थी और घायलों की संख्या १,४०० तक थी।
यहां छुपा है टाइगर मेमन
टाइगर मेमन को पाकिस्तान ने अपने यहां पनाह दे रखी है। कराची उसका ठिकाना है। मेमन कराची के सबसे पॉश इलाके डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी में बने आलीशान बंगले में रहता है। इस पॉश इलाके को पाकिस्तान की आर्मी ने डेवलप किया है। यहां पाकिस्तान के अफसर और आला अधिकारी भी रहते हैं। मेमन के बंगले के चारों ओर हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा रहता है। यहां पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना के अधिकारी टाइगर से मिलने बराबर आते रहते हैं। एनआईए के मुताबिक टाइगर के बंगले के कुछ ही दूरी पर शॉपिंग मॉल है, जिसमें उसका एक ऑफिस है। कड़ी सुरक्षा के बीच वो अपने दफ्तर आता-जाता है। यह पूरा इलाका सीसीटीवी की निगरानी में है। कराची में ही दाऊद इब्राहिम का भी बंगला है, जहां चारों ओर सुरक्षा लगे रहते हैं।
दाऊद क्यों दूर?
भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास दाऊद इब्राहिम के ठिकानों की पूरी जानकारी है और ये भी सबूत है कि वो पाकिस्तान के कराची में ही रहता है। बावजूद इसके उसे भारत नहीं लाया जा सका। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह रही है वह राजनीतिक कारण। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दाऊद इब्राहिम के ठिकानों के सबूतों के साथ एक डोजियर तैयार किया था। इस डोजियर में भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी स्तर की वार्ता में पेश किया जाना था, लेकिन राजनीतिक कारणों से इसे रद्द कर दिया गया। आखिरकार, राजनैतिक और कूटनीतिक विवाद ने सारी कोशिशें धरी की धरी रह गर्इं। दाऊद का सहयोगी छोटा शकील ने कहा था कि १९९३ के मुंबई ब्लास्ट के बाद दोनों ने देश लौटने की पेशकश की थी। इसे भारत सरकार ने ठुकरा दिया था। समर्पण के लिए दाऊद ने जो शर्त रखी थी वह राज्य सरकार को मंजूर नहीं थी। उसकी पहली शर्त थी कि उसे जेल में रखने के बजाय घर में नजर बंद रखा जाए। (समाप्त)