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संपादकीय : सुलगता बलूचिस्तान!

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को जो हुआ, उससे दहशतगर्दी का एक नया और खौफनाक रूप सामने आया है। बलूच लिबरेशन आर्मी के आतंकियों ने यात्रियों से भरी चलती ट्रेन को हाईजैक कर लिया और ४००-५०० यात्रियों को बंधक बना लिया। इसमें आम जनता के साथ-साथ पाकिस्तानी सैनिक, पुलिस, आतंकवाद विरोधी दस्ते और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी भी शामिल हैं। कहना होगा कि यह बलूच लिबरेशन आर्मी द्वारा पाकिस्तान सरकार और सेना को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा झटका है। दोपहर में जब क्वेटा से पेशावर जानेवाली जाफर एक्सप्रेस मशफाक सुरंग के पास पहुंची तो ‘बीएलए’ आतंकवादियों ने विस्फोट कर ट्रेन पर हमला कर दिया और पूरी ट्रेन को अपने कब्जे में ले लिया। यात्रियों को बंधक बना लिया गया। पाकिस्तानी सेना ने अब बंधकों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया है। उसका दावा है कि उसने १०० से अधिक बंधकों को छुड़ाया है और कुछ आतंकवादियों को मार गिराया है। उधर, ‘बीएलए’ ने कहा है कि उसने कुछ बंधकों को छोड़ दिया है और करीब तीस पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है। ‘ट्रेन हाईजैक’ के इस आतंकी ड्रामा पर पर्दा गिरने तक दोनों तरफ से दावे-प्रतिदावे जारी रहेंगे। लेकिन सच तो यह है कि बलूच आतंकवादियों ने पूरी ट्रेन को हाईजैक कर
पाकिस्तान के सिर पर कील
ठोक दी है। जब पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो बलूचिस्तान को देश में मिला लिया गया। तभी से बलूच लोगों और पाकिस्तानी हुक्मरानों, फौज के बीच संघर्ष जारी है। पाकिस्तानी हुक्मरानों द्वारा दमन, विकास की उपेक्षा, समृद्ध इलाके के बावजूद बलूच लोगों के हिस्से आई गरीबी और शुरू से ही पाकिस्तान में शामिल होने के विरोध के कारण स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग को लेकर दशकों से तहरीक, आंदोलन होते रहे हैं। यह अब दहशतगर्दी और आत्मघाती गतिविधियों तक पहुंच गया है। बलूचिस्तान में चीन द्वारा बनाए जा रहे ग्वादर बंदरगाह और वहां से चीन तक जानेवाले ‘पाकिस्तान-चीन इकोनॉमिक कॉरिडोर’ की परियोजनाओं से बलूच लोगों को लग रहा है कि चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर उनकी खनिज संपदा भी लूट लेगा। इसके चलते चीनी सैनिकों पर हमले बढ़ गए हैं। ग्वादर और पाकिस्तान-चीन इकोनॉमिक कॉरिडोर दोनों परियोजनाएं भूराजनीतिक तौर पर भारत के लिए भी खतरे की घंटी हैं। इसलिए पाकिस्तानी हुक्मरान आरोप लगा रहे हैं कि भारत बलूच विद्रोहियों की आग में घी डाल रहा है। अब भी जाफर एक्सप्रेस के
अपहरण के पीछे भारत
के होने का राग पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ अलाप रहे हैं। दशकों पहले, भारत में आतंकवादी हमलों के लिए व्यापक रूप से ‘पाकिस्तान का हाथ’ बताया जाता था। अब पाकिस्तानी हुक्मरानों को बलूचिस्तान में बलूच आतंकवादियों की गतिविधियों के पीछे भारत का हाथ नजर आता है। बलूचिस्तान, वहां के आंदोलन और उसके प्रति पाकिस्तान की नीति, यह उस देश का मुद्दा है। बहरहाल, पाकिस्तान के हुक्मरानों को इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए कि हालात इतने खराब क्यों हुए, वैâसे वहां का जनआंदोलन अब सीधे आतंकवादी-आत्मघाती हमलों, पूरी यात्री ट्रेन को हाईजैक करने तक पहुंच गया है। बलूच विद्रोहियों का क्या हश्र होगा, क्या पाकिस्तान चीन की मदद से उनकी गतिविधियों को कुचलने में सफल होगा, क्या बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए दूसरा ‘बांग्लादेश’ बन जाएगा ऐसे कई सवाल बलूच लिबरेशन आर्मी के आतंकियों द्वारा ‘जाफर एक्सप्रेस’ के अपहरण से खड़े हो गए हैं। इन सवालों का जवाब भविष्य में मिलेगा, लेकिन फिलहाल बलूचिस्तान के हालात पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और निश्चित तौर पर सुलगता बलूचिस्तान पाकिस्तान पर लटकती तलवार बन गया है, इसमें कोई दो राय नहीं है!

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