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पुलिसकर्मियों के नेमप्लेट से गायब होगा सरनेम! …पुलिस वालों की सिर्फ खाकी होती है जाति

सामना संवाददाता / मुंबई
बीड के एसपी नवनीत कावंट ने जनवरी में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे एक दूसरे को नाम से बुलाएं और सरनेम से न बुलाएं, ताकि जाति भेदभाव खत्म हो सके। अब एसपी के ऑफिस ने नेमप्लेट बांटें हैं, जो सुरक्षाकर्मियों के ऑफिस में टेबल पर लगाए जाएंगे। उसमें उनका सरनेम नहीं होगा। इस पैâसले पर एसपी नवनीत का कहना है कि हम पुलिस वालों की कोई जाति नहीं होती और न ही हमारा कोई धर्म होता है। हम सबके लिए सिर्फ खाकी है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने ड्यूटी से जाति हटाने की चुनौति को स्वीकार किया है। इस पहल के तहत पुलिसकर्मी एक दूसरे को केवल नाम से बुला रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस को केवल पुलिस के रूप में पहचाना जाए, न कि उन्हें किसी जाति या सरनेम के आधार पर जाना जाए। अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही पुलिसकर्मी अपने यूनिफॉर्म पर छोटे नेमप्लेट लगाएंगे, जो वे खुद बनाएंगे।
बीड के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद दिसंबर में नवनीत कवंट की पोस्टिंग हुई है। संतोष देशमुख का अपहरण कर उन्हें प्रताड़ित किया गया था और बाद में हत्या कर दी गई थी। यह घटना ९ दिसंबर २०२४ को हुई थी। संतोष देशमुख की हत्या में भी जाति का एंगल आया था। वह मराठा थे, जबकि आरोपियों में ज्यादातर वंजारी समुदाय के हैं, जो कि बीड का जनसंख्या बहुल समुदाय है।

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