मुख्यपृष्ठनए समाचारअंतरिक्ष में इसरो ने फिर रचा इतिहास ...स्पाडेक्स अनडॉकिंग रही सफल 

अंतरिक्ष में इसरो ने फिर रचा इतिहास …स्पाडेक्स अनडॉकिंग रही सफल 

-दुनिया का चौथा देश बना भारत
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्पाडेक्स मिशन के तहत दो सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अनडॉक किया। इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इससे पहले इसरो ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स) के लिए डॉकिंग प्रयास को दो स्पेस सैटेलाइट के बीच अत्यधिक बहाव का पता लगाने के बाद स्थगित कर दिया था।
इससे पहले इसरो ने ३० दिसंबर २०२४ की रात १० बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र यानी शार से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट लॉन्च किया था। मिशन की कामयाबी से भारतीय अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना और चंद्रयान-४ जैसे मानव अंतरिक्ष मिशन का मार्ग प्रशस्त हो गया।
क्या है स्पाडेक्स मिशन?
इस मिशन में दो सैटेलाइट हैं। पहला चेसर और दूसरा टारगेट। चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकड़ेगा। उससे डॉकिंग करेगा। इसके अलावा इसमें एक महत्वपूर्ण टेस्ट और हो सकता है। सैटेलाइट से एक रोबोटिक आर्म निकले हैं, जो हुक के जरिए यानी टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा। ये टारगेट अलग क्यूबसैट हो सकता है। इस प्रयोग से फ्यूचर में इसरो को ऑर्बिट छोड़ अलग दिशा में जा रहे सैटेलाइट को वापस कक्षा में लाने की तकनीक मिल जाएगी। साथ ही ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग का ऑप्शन भी खुल जाएगा। स्पाडेक्स मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाया जाएगा।

इसरो ने बताया कि यह तकनीक तब जरूरी होती है जब एक ही मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की जरूरत पड़ती है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो इस तकनीक को हासिल कर चुका है। अब तक अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये तकनीक है।

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