सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार में स्वास्थ्य यंत्रणा रामभरोसे चल रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण उल्हासनगर के सरकारी प्रसूति अस्पताल में दिखाई दिया। यहां एक गर्भवती महिला को ऑपरेशन के लिए लाया गया था। लेकिन इस दौरान एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉक्टर और एंबुलेंस ड्राइवर ड्यूटी पर सोए हुए मिले। इस मामले में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. शशिकांत डोडे ने एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉक्टर और दो एंबुलेंस ड्राइवरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, अंबरनाथ की एक महिला को दो दिन पहले रात में सरकारी महिला प्रसूति अस्पताल में प्रसूति के लिए लाया गया था। डॉक्टरों की जांच में पता चला कि बच्चे ने पेट में मल त्याग किया है, जिसके कारण महिला का ऑपरेशन करने का पैâसला लिया गया। इसके लिए महिला को बेहोश करना जरूरी था। हालांकि, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉक्टर को बार-बार फोन करने के बावजूद उनसे संपर्क नहीं हो सका। बाद में पता चला कि वे ड्यूटी पर सोए हुए थे। महिला को आगे के इलाज के लिए कल्याण स्थित अस्पताल ले जाने के लिए सरकारी १०८ एंबुलेंस भी समय पर नहीं आई। प्रसूति अस्पताल की एंबुलेंस ड्राइवर को भी फोन किया गया, लेकिन वह भी ड्यूटी पर घर पर सोया हुआ पाया गया।
सांसत में फंसी जच्चे-बच्चे की जान
ड्यूटी पर सोए हुए एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉक्टर और एंबुलेंस ड्राइवर की वजह से महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे की जान को खतरा पैदा हो गया था। आखिरकार, रिश्तेदारों ने एक निजी एंबुलेंस बुलाई और महिला को कल्याण के एक अस्पताल में ले गए। वहां महिला की प्राकृतिक प्रसूति हुई और मां-बच्चे की हालत अच्छी है। अस्पताल में हुई इस घटना की जानकारी मिलते ही एक शिष्टमंडल ने अस्पताल के अधीक्षक डॉ. शशिकांत डोडे को ज्ञापन दिया और काम में लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।