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वालधुनी नदी से 8 साल में 6,000 डंपर कचरा निकाला गया…अब जालियां लगाई जा रही हैं, फिर भी लोगों को है संदेह कि कभी साफ होगी क्या?

अनिल मिश्रा / उल्हासनगर

उल्हासनगर से बहने वाली अत्यंत प्रदूषित वालधुनी नदी जो कचरे, बदबू से भरी रहती है। उसकी साल में कई बार सफाई होती है। अब तो कचरा फेंकने के स्थान पर लोगों को कचरा फेंकने से रोकने के लिए जालियां लगाई जा रही हैं। कचरा फेंकने वाले लोगों को पकड़ कर दंड लगाने के लिए मार्शल की नियुक्ति की गई है। शहर भर में कचरे फेंकने से होने वाले दुष्परिणाम को लेकर जन जागृति पैदा की जा रही है। इसके बाद भी वालधुनी कचरा, बदबू मुक्त होने का नाम नहीं ले रही है। नदी की सफाई के नाम पर प्रति वर्ष लाखों रुपए पानी में बहाया जाता है। अब लोग संदेह कर सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या कभी वालधुनी नदी कचरा मुक्त होगी?
बता दें कि वालधुनी नदी उल्हासनगर में आते ही उसमें लोगों के द्वारा कचरा फेंका जाता है।उल्हासनगर 3 की सीमा में वडोलगांव, अशोकनगर से उल्हास स्टेशन पुल, हीराघाट जैसे कुछ दूर तक खुली जगह में मनपा का सफाई विभाग जेसीबी मशीन से कचरा निकालता है। उमनपा के सफाई विभाग द्वारा पिछले 8 साल से शुरू स्वच्छता अभियान से विगत 8 वर्षों में करीबन 6,000 डंपर कचरा नदी से निकाला गया है। उमनपा द्वारा वालधुनी नदी स्वच्छता अभियान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।, जिससे आगामी मानसून में बाढ़ के समय नदी किनारे बसे लोगों के घरों में पानी घुसने का प्रमाण काफी कम हो, जिससे जन, धन की हानि कम हो। निरंतर सफाई अभियान से नदी में से केमिकल और घरेलू दूषित पानी की बदबू का प्रमाण भी कम हो जाता है। वालधुनी नदी की सफाई को लेकर मनपा प्रशासन की वर्षों से चल रहा अभियान सफल नहीं होता दिखाई दे रहा है। उल्हासनगर से नदी में मिलने वाले नाले पर जाली लगाई जा रही है, जिससे लोग कचरा नाले में न फेंकें।अब तक रसायन युक्त पानी को रोकने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किया गया, जो सब व्यर्थ साबित हो रहा है।
वालधुनी नदी संवर्धन संघर्ष समिति के प्रमुख शशिकांत दायमा भी सरकार द्वारा की जा रही नदी की सफाई योजना को आर्थिक सफाई अभियान नाम दे रहे हैं। नदी की सफाई न हो कर दिन प्रति दिन और नर्क हो रही हैं। कचरा, बदबू कम होने की बजाय बढ़ रहा है।

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