हम योद्धा हैं जीवन जंग के
कोख से ही हुई जंग की शुरुआत
मां थी साहसी-उद्यमी, लड़ ले आई जीवन में
देकर शुभचिंतकों को मात।
नन्हे कदम धरे धरा पर
जब तक पग-पग थे लड़खाए
समाज-स्पंदन समझ चुकी थी
भेद-भाव हर मोड़ खड़े दिख जाए।
हम योद्धा जीवन जंग के
कैसे जीवन को पीठ दिखाए?
लड़ना बनी पहचान हमारी
हर उम्र ने भिन्न-भिन्न मकसद जुटाए।
उन्हें हासिल करना बना हमारा अभिप्राय
हर उद्देश्य ने कमाल के युद्ध कौशल सिखाए,
हर पहलू मांगे पूरा ध्यान, पूरा सम्मान ,
जीतना बना मनोरथ हमारा
बड़ते गए हौसले, बड़ने लगी शान,
हम योद्धा हैं जीवन जंग के
डटे रहकर जूझते रहना,
जूझते हुए निरंतर चलना
जीवन योद्धा को मिला
बस यही वरदान।
-नैंसी कौर, नई दिल्ली