सामना संवाददाता / मुंबई
दूध स्वास्थ्यवर्धक होता है। दूध में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होने से डॉक्टर भी रोज एक गिलास दूध पीने की सलाह देते हैं। पुराणों में ताजे दूध को अमृत और देवताओं का भोजन कहा गया है, लेकिन यही दूध अब जहर बनता जा रहा है, क्योंकि दूध में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक यूरिया, फॉर्मलीन, कास्टिक सोडा, डिटर्जेंट यानी कपड़े धोने का साबुन मिलाया जा रहा है। राज्य सरकार ने भी विधानसभा में दिए गए जवाब में इसे कबूल किया है। इससे यह सवाल उठता है कि हम रोज दूध अथवा कपड़े धोने का साबुन पी रहे हैं।
राज्य में बड़े पैमाने पर दूध में मिलावट हो रही है। इसके चलते खाद्य व औषधि प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवल ने फरवरी महीने में मुंबई के चार चेक पोस्टों पर अचानक छापे मरवाए थे। इस छापेमारी के दौरान मुंबई आने वाले ९८ दूध टैंकरों की जांच की गई, तो दूध में मिलावट पाई गई थी। इसके बाद झिरवल ने दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी।
मिलावटी पनीर का भी उठा मुद्दा
इस बीच राज्य के बजट सत्र में विधानसभा की कार्यवाही के दौरान मिलावटी पनीर का मुद्दा चर्चा में आया। विधायक विक्रम पिचड ने नकली पनीर के नमूने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे थे। इसके बाद अब मिलावटी दूध का मुद्दा भी सामने आया है।
राज्य में बड़े पैमाने पर दूध में मिलावट
– मानकों के अनुसार नहीं है दूध
राज्य में बड़े पैमाने पर दूध में मिलावट हो रही है। इसमें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक यूरिया, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, फॉर्मलीन, खाना पकाने का तेल, डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, चीनी, नमक आदि घातक तत्व मिलाए जा रहे हैं। यह बात हाल ही में सामने आई है। इस पर खाद्य व औषधि प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवल ने लिखित जवाब में आंशिक रूप से इसे सही माना है।
खाद्य व औषधि प्रशासन ने १ अप्रैल २०२४ से ३१ जनवरी २०२५ के बीच दूध के ७३० नमूने जांच करने के लिए कब्जे में लिए। इनमें से ५० नमूने निम्न गुणवत्ता और दूध के ११ नमूने असुरक्षित पाए गए। १५ जनवरी को विभिन्न स्थानों से लगभग १०९४ नमूने जांच के लिए लिए गए। इनमें से दूध के १२६ नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। सरकार ने लिखित जवाब में इसे स्वीकार किया है।