होली में रंग हो गुलाल का
न हो कोई रंग मलाल का।
रंग हों नीले-पीले या नारंगी
खुशियों से भर दे जो जिंदगी।
अब तो शामिल है रंग स्याह भी
कलयुग में नही कोई परवाह ही।
काश शामिल हो जाए रंग सफेद भी
अमन ही अमन हो न हो कोई भेद ही।।
-नूरुस्सबा शायान
होली
साल में एक बार आता यह त्योहार
लोगों के मन में लाता ढेरों ढेर प्यार।
दुनिया थी पहले
कितनी उदास और बेरंगी,
भर गए है बहुत से रंग
नीले-पीले और नारंगी।
सालों बीत गए
भूल गए इसकी मिठास,
आज रंगों में खेलकर
समझिए इसका इतिहास।।
-अमातुल्लाह टोंकवाला
कक्षा-पांचवीं