-जेलर और डिप्टी जेलर निलंबित
-बंदी को कॉल कराकर जेल से कराई थी डील
सामना संवाददाता / गाजीपुर
जिला जेल के जेलर और डिप्टी जेलर निलंबित कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई जेल में बंदियों को अवैध रूप से मोबाइल पर बात कराने की वजह से की गई। इन वैâदियों में कई शातिर अपराधी भी शामिल हैं। जेल में एक तरह से अवैध पीसीओ चल रहा था। पुलिस-प्रशासन को सूचना मिली थी कि जिला जेल में बंद वैâदियों की अवैध रूप से मोबाइल पर बात कराई जा रही है. इसके बाद डीआईजी जेल ने मामले की जांच शुरू की। इसमें पता चला कि जेल में अवैध रूप से पीसीओ चल रहा है। इसके कारण यहां बंद कैदी बाहर के लोगों के संपर्क में हैं।
यह राज तब खुला जब बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोपी गाजीपुर के विनोद गुप्ता ने जेल से फोन कर पीड़ितों को धमका दिया। गवाही न देने के लिए पैसे की पेशकश की। यह मामला ४ मार्च का है। इसके बाद पीड़ितों के जरिए इसकी शिकायत अफसरों तक पहुंच गई। पूरे मामले की जांच शुरू की गई तो हैरान करने वाले राज सामने आए।
क्या है पूरा मामला?
बीते फरवरी माह में गाजीपुर जेल से एक युवक को धमकी भरा फोन कॉल आया था। पीड़ित युवक ने इसकी शिकायत एसपी ग्रामीण को दी और बताया कि ठगी के मामले में जेल में बंद बक्सूबाबा एकेडमी के संचालक विनोद गुप्ता ने उसे धमकाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। स्वाट और सर्विलांस टीम ने जंगीपुर थाना क्षेत्र के बिलाईच गांव निवासी पम्मी यादव को गिरफ्तार किया।
कई बंदियों का होगा ट्रांसफर
इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है। सूत्रों के मुताबिक, जेल में मोबाइल के इस्तेमाल और गवाहों को धमकी देने के मामले में कुछ बंदियों और सजायाफ्ता वैâदियों को दूसरी जेलों में भेजा जा सकता है। चार चिन्हित बंदियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और कागजी कार्यवाही पूरी की जा रही है। जल्द ही जेल प्रशासन अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगा, जिसके बाद ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होगी।
जांच में जेल प्रशासन की लापरवाही उजागर
जांच के दौरान जेल अधीक्षक के रीडर की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने बताया कि जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इसके आधार पर डीजी जेल ने जेलर और डिप्टी जेलर को सस्पेंड कर दिया और अधीक्षक पर कार्रवाई की सिफारिश की।
डीएम आर्यका अखौरी ने बताया कि जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है। इसके अलावा जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। शासन ने स्पष्ट किया है कि जेलों में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।