-प्रभारी के कंधों पर अस्पताल का कामकाज
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई की भायखला स्थित जेजे अस्पताल के डीन डॉ. पल्लवी सापले को प्रोन्नति देकर महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा व संशोधन हु श्रेणी अ में चिकित्सा सहायक निदेशक पद की जिम्मेदारी दी गई है। इस संबंध में महायुति सरकार ने २२ जनवरी को बाकायदा शासनादेश भी जारी किया है। हालांकि, इसी के साथ ही उनके कंधों पर जेजे अस्पताल के प्रभारी डीन के पद का जिम्मेदारी भी सौंपा गया है। दूसरी तरफ उन्हें प्रभारी पद की जिम्मेदारी सौंपे हुए ५४ दिन गुजर चुके हैं, पर अभी तक जेजे अस्पताल के लिए कोई स्थाई डीन नहीं मिला है। इस वजह से महायुति सरकार के शासन में अस्पताल में मरीज भगवान भरोसे ही हैं।
उल्लेखनीय है कि मुंबई के भायखला स्थिति जेजे अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब तीन हजार मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। इसी तरह ३००-४०० मरीज भर्ती होते हैं और करीब १३० मरीजों की सर्जरियां भी होती हैं। मुंबई में राज्य सरकार द्वारा संचालित यह सबसे बड़ा अस्पताल है। इसलिए यहां मुंबई ही नहीं, अपितु महाराष्ट्र और देश के अलग-अलग क्षेत्रों से मरीज इलाज कराने आते हैं। लेकिन पिछली घाती और मौजूदा महायुति सरकार में इस अस्पताल में कामकाज भगवान भरोसे चल रहा है। अस्पताल के ओपीडी में रोजाना मरीज घंटों कतारों में खड़े रहते हैं। सर्जरियों के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट रहती है। स्वास्थ्य कर्मियों और रेजिडेंट डॉक्टरों का व्यवहार मरीजों और उनके परिजनों के साथ सही नहीं रहता है। कई मामलों में मरीजों का इलाज करने की जिम्मेदारी विभिन्न विभागों के डॉक्टर लेना ही नहीं चाहते हैं। मरीजों को दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं।
मिलीभगत का चल रहा खेला
अस्पताल के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से मरीजों के ब्लड सैंपल निजी लैबों के लोग आकर ले जाते हैं। साथ ही निजी लैब चालक जो रिपोर्ट देते हैं उस पर अस्पताल का उल्लेख नहीं रहता, बल्कि सेल्फ लिखा रहता है। इससे अस्पताल के कामकाज पर सवालिया निशान उठ खड़े हो गए हैं। किसी अस्पताल में डीन का पद बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन जेजे अस्पताल में इस पद पर प्रभारी डीन के तौर पर डॉ. सापले की नियुक्ति की गई है, जिससे अस्पताल का कामकाज और ज्यादा प्रभावित हो रहा है।