सामना संवाददाता / मुंबई
छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को लेकर एक जोरदार विवाद शुरू हो गया है। वहीं भाजपा सत्र के दौरान मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए औरंगजेब के कब्र का मुद्दा उठा रहीं है। औरंगजेब की कब्र की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दी गई है और उसके द्वारा इसका संरक्षण किया जा रहा है।
हालांकि, इस कब्र को हटाने की मांग कुछ उपद्रवियों द्वारा तेज हो रही है। मुंबई सहित राज्यभर के जिलाधिकारी कार्यालयों के बाहर कल भाजपा समर्थित बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग की। विश्व हिंदू परिषद कारसेवकों ने सरकार को चेतवानी दी है कि यदि विलंब हुआ तो वे खुद कब्र हटा देंगे। इसी बीच भाजपा नेता सुनील देवधर ने एक विकृत मानसिकता वाली मांग की है कि अगर इस कब्र को हटाया नहीं जाता है तो वहां थूकने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने मीडिया को दिए बयान में महाराष्ट्र में कानून का राज है, जो कुछ भी होगा वह कानून के माध्यम से ही होगा। औरंगजेब की कब्र को उखाड़ फेंकना चाहिए, यह मेरी भी राय है। हालांकि, अगर इस कब्र को हटाया नहीं जाता है तो औरंगजेब की कब्र पर थूकने की व्यवस्था की जाए, ऐसी मांग सुनील देवधर ने की।
उन्होंने यह भी कहा कि संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र पर ऐसी व्यवस्था की जाए तो वहां पर्यटन बढ़ेगा। औरंगजेब की कब्र को उखाड़ा ही जाना चाहिए, लेकिन अगर यह कानून के माध्यम से नहीं होता है तो यह विकल्प भी होना चाहिए, ऐसा उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यहां महिमामंडन होगा तो सिर्फ शिवाजी महाराज का होगा, औरंगजेब की कब्र का नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब की कब्र को एएसआई ने ५० साल पहले संरक्षित किया था इसलिए महाराष्ट्र सरकार को भी वहां संरक्षण देना उचित है। हालांकि, इस महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र का महिमामंडन कभी नहीं होगा।