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आजादी है जरूरी

लोगों को खुश करने की बजाय जिंदगी को अपने अंदाज से जीनेवाली आयशा जुल्का से फैमिली प्लानिंग के बारे में बात की गई तो उन्होंने बिना किसी हिचक के बताया कि बच्चा न करने का फैसला उनका अपना है। शादी के बाद बच्चा न होने पर जहां ज्यादातर परिवारों में टेंशन हो जाती है, वहीं लोग स्त्रियों को ‘बांझ’ और न जाने क्या-क्या कहते हुए ताने मारते हैं। खैर, समीर वशी के साथ विवाह करनेवाली और दो गांवों को गोद लेकर १६० बच्चों की परवरिश कर उनकी पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा उठानेवाली आयशा ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा कि बच्चा न करने का फैसला उनका अपना है। बच्चे से ज्यादा अपनी आजादी को महत्व देनेवाली आयशा ने कहा कि वे कभी दूसरों को खुश करने के लिए काम नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है और उनके परिवार सहित पति का भी बच्चे न करने के फैसले पर पूरा सपोर्ट है। इसलिए उन्हें किसी ऐसी चीज पर ध्यान देने की कोई वजह नजर नहीं आती है, जो उनके लिए मायने ही नहीं रखती।

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