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नियम के खिलाफ जाकर विपक्ष का घोंटा गया गला! …उपसभापति के विश्वास प्रस्ताव पर नहीं बोलने दिया गया

– विधान परिषद का है काला दिन
– सदन से विपक्ष ने किया वॉकआउट

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्‍हे के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा बजट सत्र के तीसरे दिन पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को सभापति ने मंगलवार को खारिज कर दिया। हालांकि, सरकार की ओर से कल गोर्‍हे को लेकर विश्वास प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे पारित कर दिया गया। हालांकि, इन दोनों प्रस्तावों के दौरान विपक्ष को बोलने नहीं दिया गया। इससे नाराज विपक्षी दलों के सदस्यों ने कहा कि यदि आप हमें सदन में बोलने नहीं देंगे तो हम यहां क्यों आएं? आज विधान परिषद का काला दिन है। हम सभापति और सरकार का विरोध करते हैं। यह कहते हुए विपक्षी दलों के सभी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार कर दिया।
विधान परिषद में दोपहर में नियमित कामकाज शुरू होने के बाद भाजपा सदस्य प्रवीण दरेकर ने उपसभापति नीलम गोर्‍हे पर विश्वास प्रस्ताव रखा। उस पर अनिल परब ने इस प्रस्ताव पर चर्चा करने की अनुमति मांगी। हालांकि, इसे सभापति राम शिंदे ने नामंजूर कर दिया। साथ ही प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूर कर दिया। इस पर विपक्ष ने जोरदार तरीके से आपत्ति जताई और मांग की कि उन्हें भी अपनी राय व्यक्त करने का मौका दिया जाए। इस बीच शुरुआत में सभापति ने सदन में कामकाज १५ मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच जब फिर से कामकाज शुरू हुआ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया जा रहा था, तब विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस वजह से एक बार फिर १० मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सदस्य शशिकांत शिंदे ने सरकार का निषेध करते हुए सवाल उठाया कि विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा है।
सदन ने उठाया है गलत कदम
सदन में विधानमंडल की कार्यवाही पुस्तिका हाथ में लेकर अनिल परब ने सभापति से सवाल किया कि विश्वास प्रस्ताव किस नियम के तहत पेश किया गया और पारित किया गया। उन्होंने कहा कि यदि विधानमंडल में ही नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और उस पर बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो यह हमारे अधिकारों पर हमला है। इस प्रस्ताव को चर्चा के बिना मंजूर करके सदन ने गलत कदम उठाया है। इस प्रस्ताव पर गुट नेताओं की बैठक में चर्चा होनी चाहिए थी। हालांकि, नियमों को दरकिनार करके यह प्रस्ताव मंजूर किया गया है। सभापति का यह निर्णय हमें अस्वीकार्य है।

अनिल परब ने कहा कि यदि सरकार को बहुमत का अहंकार है तो उसे मतदान के माध्यम से साबित करके दिखाना चाहिए। केवल इसलिए कि हम अल्पमत में हैं इसलिए हमारी आवाज को दबाने का प्रयास नहीं होना चाहिए। सभापति के निर्णय को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। इस आधार पर यदि आप कोई भी निर्णय ले रहे हैं तो हम इस सरकार का विरोध करते हैं।

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