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प्लास्टिक बैन की नौटंकी जुर्माना गरीबों पर, फायदा फैक्ट्रियों का! … फेरीवालों व फुटपाथी दुकानदारों पर ही हो रही कार्रवाई

नीलम रामअवध / मुंबई
मुंबई मनपा ने एक बार फिर प्लास्टिक बैन पर कार्रवाई का ढोंग रचते हुए नया अभियान शुरू किया है। हाल ही में जारी मनपा के जनसंपर्क विभाग के प्रेस नोट में प्रतिबंधित प्लास्टिक बैग के उपयोग पर रोक लगाने की बात कही गई है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी यह अभियान केवल गरीब फेरीवालों और फुटपाथी दुकानदारों तक ही सीमित नजर आ रहा है, जबकि प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पर्यावरणविद देवी गोयनका ने मनपा की इस कार्रवाई पर कहा कि नेता मनपा पर दबाव बनाते हैं, तो वे सब्जी वालों से प्लास्टिक इस्तेमाल के नाम पर पैसे वसूलते हैं, लेकिन प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। अगर प्लास्टिक बनाने वाले एक इंडस्ट्री मालिक को जेल भेजा जाए, तो बाकी खुद ही प्लास्टिक की थैलियां बनाना बंद कर देंगे।

मनपा का यह रवैया बताता है कि उसका असली मकसद पर्यावरण बचाना नहीं, बल्कि कमजोरों को निशाना बनाकर अपनी जेब भरना है। अगर मुंबई को सच में प्लास्टिक मुक्त बनाना है तो फुटपाथी दुकानदारों पर कार्रवाई करने के बजाय प्लास्टिक उत्पादन करने वाली कंपनियों पर ताला लगाना होगा। वरना मनपा के ऐसे अभियान केवल गरीबों के लिए सजा और बड़ी कंपनियों के लिए मुनाफे की गारंटी ही बना रहेगा!

मनपा के पोल खोल आंकड़े
कुछ रिपोर्टों के मुताबिक मनपा द्वारा २०२२ से अब तक हजारों किलो प्रतिबंधित प्लास्टिक जब्त कर लाखों रुपए का जुर्माना वसूला गया है। जनवरी २०२५ में भी ६१.५ किलो प्लास्टिक जब्त कर २९ लोगों से १ लाख रुपए से ज्यादा वसूले गए। रिपोर्ट की मानें तो इसे बड़ी उपलब्धि बताया गया, लेकिन इस बात का जिक्र कहीं नहीं हुआ कि प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों पर क्या कार्रवाई हुई? क्या फुटपाथी दुकानदार ये प्लास्टिक खुद बनाते हैं? अगर नहीं, तो असली गुनहगारों को क्यों बख्शा जा रहा है?

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